Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

पंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं ...

सर्द हवा में गर्म चाय का थर्मस भर चलते हैं.
पंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं.

 

खिड़की खुली देख कर उस दिन शाम लपक कर आई,
हाथ पकड़ कर बोली बेटा चल छत पर चलते हैं.

 

पर्स हाथ में ले कर जब वो पैदल घर से निकली,
इश्क़ ने फिर चिल्ला के बोला चल दफ्तर चलते हैं.

 

सब के साथ तेरी आँखों में दिख जाती है हलचल,
जब जब बूट बजाते हम जैसे अफसर चलते हैं.

 

गश खा कर कुछ लोग गिरे थे, लोगों ने बोला था,
पास मेरे जब आई बोली चल पिक्चर चलते हैं.

 

जब जब उम्र ठहरने लगती दफ्तर की टेबल पे,
धूल फांकती फ़ाइल बोली चल अब घर चलते हैं.

 

याद किसी की नींद कहाँ आने देगी आँखों में,
नींद की गोली खा ले चल उठ अब बस कर चलते हैं. 



This post first appeared on स्वप्न मेरे ..., please read the originial post: here

Share the post

पंख लगा कर पंछी जैसे चल अम्बर चलते हैं ...

×

Subscribe to स्वप्न मेरे ...

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×