थोड़े से
कुछ
बेवकूफ
भी होते हैं
कुछ लोग
समझना
चाहिये
नहीं
समझे को
दूसरों के
समझने
के लिये अगर
लिख कर छोड़
भी देते देते हैं
कुछ लोग
सबके घर
अलग अलग
होते हैं
रिवाज अलग
होते हैं
आदते अलग
होती हैं
सब को सब
दिखाई दे
जरूरी नहीं
होता है
चश्में अलग
अलग होते हैं
कुछ देखते
हैं अपने
हिसाब का
कुछ लोग
सब कुछ
देख कर भी
कुछ भी
नहीं देखते हैं
कुछ लोग
कुछ लोग
कुछ बच्चे से
भी होते हैं
कुछ सयाने
से भी होते हैं
कुछ लोग
जो होता है
आसपास
उसपर
गली के
कुत्ते भी
कान खड़े
कर के
भौंकते हैं
ये सब कुछ
भी नहीं देखते
हैं कुछ लोग
कभी लौकी
लिखा दिखता है
कभी कद्दू
लिखा नजर
आता है
लिखने में
कुछ लोगों के
लिखने वाला
कभी सब्जी
बेचने के लिये
नहीं आता है
पता नहीं
इतनी सी
बात किस लिये
नहीं समझ पाते
हैं कुछ लोग
शेरो शायरी करना
किस ने कह दिया
बुरी बात होती है
कुछ लोग
बुरी बात पर
बुरा मान कर
लिखते हैं
कुछ लोगों को
कभी बुरा
नहीं लगता है
ऐसा लगता है
हमेशा अपने
हनुमान की
टाँग पर ही
कुछ लिखते
हैं कुछ लोग
कुछ पढ़ देते हैं
कुछ भी
ऐसे भी होते
हैं कुछ लोग
पढ़ कर पढ़े पर
फिर कुछ
अपनी बात कुछ
लिख लिख कर
कह देते हैं
कुछ लोग
लिख देता है
कुछ भी ‘उलूक’
कभी भी
आकर यहाँ
नमन है
उन सबको
अपने सर पर
रख देते हैं
फिर भी उस
कुछ भी को
हमेशा ही
कुछ लोग
सब समझ
आता है
लोगों के
कहाँ जायेगें
कहाँ पढ़ेगे
कहाँ जा कर
कहेंगे कुछ
पढ़े पर कुछ
पढ़े लिखे
कुछ लोग।
चित्र साभार : QuoraЯндекс.Фотки
कुछ
बेवकूफ
भी होते हैं
कुछ लोग
समझना
चाहिये
नहीं
समझे को
दूसरों के
समझने
के लिये अगर
लिख कर छोड़
भी देते देते हैं
कुछ लोग
सबके घर
अलग अलग
होते हैं
रिवाज अलग
होते हैं
आदते अलग
होती हैं
सब को सब
दिखाई दे
जरूरी नहीं
होता है
चश्में अलग
अलग होते हैं
कुछ देखते
हैं अपने
हिसाब का
कुछ लोग
सब कुछ
देख कर भी
कुछ भी
नहीं देखते हैं
कुछ लोग
कुछ लोग
कुछ बच्चे से
भी होते हैं
कुछ सयाने
से भी होते हैं
कुछ लोग
जो होता है
आसपास
उसपर
गली के
कुत्ते भी
कान खड़े
कर के
भौंकते हैं
ये सब कुछ
भी नहीं देखते
हैं कुछ लोग
कभी लौकी
लिखा दिखता है
कभी कद्दू
लिखा नजर
आता है
लिखने में
कुछ लोगों के
लिखने वाला
कभी सब्जी
बेचने के लिये
नहीं आता है
पता नहीं
इतनी सी
बात किस लिये
नहीं समझ पाते
हैं कुछ लोग
शेरो शायरी करना
किस ने कह दिया
बुरी बात होती है
कुछ लोग
बुरी बात पर
बुरा मान कर
लिखते हैं
कुछ लोगों को
कभी बुरा
नहीं लगता है
ऐसा लगता है
हमेशा अपने
हनुमान की
टाँग पर ही
कुछ लिखते
हैं कुछ लोग
कुछ पढ़ देते हैं
कुछ भी
ऐसे भी होते
हैं कुछ लोग
पढ़ कर पढ़े पर
फिर कुछ
अपनी बात कुछ
लिख लिख कर
कह देते हैं
कुछ लोग
लिख देता है
कुछ भी ‘उलूक’
कभी भी
आकर यहाँ
नमन है
उन सबको
अपने सर पर
रख देते हैं
फिर भी उस
कुछ भी को
हमेशा ही
कुछ लोग
सब समझ
आता है
लोगों के
कहाँ जायेगें
कहाँ पढ़ेगे
कहाँ जा कर
कहेंगे कुछ
पढ़े पर कुछ
पढ़े लिखे
कुछ लोग।
चित्र साभार : QuoraЯндекс.Фотки