मिस्र. स्वेज नहर ( Suez Canal) में बीते दिनों फंसे कंटेनर जहाज ‘एवर गिवेन’ निकल तो गया लेकिन अब भारत की चिंताएं बढ़ गई हैं. भारत के लिए अगली बड़ी चिंता यह है कि स्वेज नहर प्राधिकरण 25 क्रू सदस्यों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर सकता है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि दुर्घटना के कारणों की जांच पूरी होने तक उन्हें घर में नजरबंद रखा जा सकता है. हालांकि जहाज प्रबंधन ने चालक दल के माध्यम से जाने वाली कानूनी प्रक्रियाओं के बारे में कुछ भी नहीं बताया है. शिपिंग उद्योग से जुड़े एक वरिष्ठ व्यक्ति ने बताया ‘चालक दल को बलि का बकरा बनाया जाएगा.’
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नेशनल शिपिंग बोर्ड (NSB) के सदस्य, कैप्टन संजय प्रहार ने बताया, ‘सबसे पहले यह पता लगाना होगा कि विशालकाय जहाज कैसे फंसा था. जहाज के डेटा रिकॉर्डर में बातचीत की जांच और सुनने से तथ्यों की जाँच की जा सकती है और किसी को समझ में आ सकता है कि दुर्घटना का कारण क्या है.’
स्वेज नहर में फंसे मालवाहक पोत के निकलने के बाद खुला जलमार्ग
पोत के फंसे होने से समुद्री परिवहन में प्रतिदिन अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा था. रेतीले किनारे पर अटके ‘एवर गिवेन’ नामक पोत को निकालने में कई ‘टगबोट’ का इस्तेमाल किया गया जहां वह 23 मार्च से फंसा हुआ था. पोत को निकालने के लिए ‘बोस्कालिस’ कंपनी की सहायता ली गई.
कंपनी के सीईओ पीटर बरडोस्की ने कहा, ‘हमने उसे निकाल लिया. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमारे विशेषज्ञों के दल ने स्वेज नहर प्राधिकरण के सहयोग से एवर गिवेन को सफलतापूर्वक जल के बीच में दोबारा लाने में कामयाबी हासिल की है. इसके बाद स्वेज नहर में आवागमन बहाल हो गया.’
जहाज के फंसने से समुद्र में लग गया था जाम
स्वेज नहर प्राधिकरण के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ओसामा रबेई ने कहा कि नहर में स्थानीय समयानुसार शाम छह बजे आवागमन बहाल हुआ. उन्होंने कहा कि सबसे पहले पशुओं को ढोने वाले पोतों को जाने दिया गया. स्वेज शहर के तट पर फंसे कंटेनर लदे पोतों को लाल सागर में जाते देखा गया. रबेई ने कहा कि मंगलवार सुबह तक 420 में से 113 पोतों को निकाल दिया जाएगा जो एवर गिवेन के फंसने के कारण रुके थे. विश्लेषकों का मानना है कि रुके हुए सभी पोतों को निकालने में 10 दिन का समय लग सकता है.
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