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~ नन्द लाला…

~ नन्द लाला…
मईया
सुन मोरी मईया
देखो द्वार खरे नन्द लाला
देखो द्वार खरे नन्द लाला…
बोले भूख से सूख के नीले भये है
पर मुँह पर कुछ सुफेद है झागा
और जब मैं बोला कान्हा
तोहरे मुँह पे माखन लागा
तब ना पोंछ के मुँह वो बोले
चल पगले
ये तो सुफेद है धागा
कित्ता चतुर है नन्द लाला
मईया बरा चतुर नन्द लाला
इक बात बता तू मईया
तू गोरी तो कान्हा है क्यूँ काला…
ठीक कहे नन्द लाला
तू पगला का पगला
वो रूप बदरने वाला
वो सब दुःख हरने वाला
वो किसी आँख को गोरा
वो किसी आँख को काला…


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