यह कोई कविता या कहानी नहीं है
यह भारत देश का नागरिक होने के नाते
भारत सरकार के नाम मेरा हलफनामा है
Related Articles
जिसमें मैं पूरे होश-ओ-हवास में
यह घोषणा करता हूँ
कि मैं जन्म से ही भारतीय नागरिक हूँ
और जन्म से ही आत्म-निर्भर हूँ
और यह आत्म-निर्भरता मुझे किसी
नीले या पीले कार्ड पर नहीं मिली
यह आत्म-निर्भरता मुझे किसी
केन्द्रीय या राज्य सरकार योजना से नहीं मिली
यह आत्म-निर्भरता मुझे मेरी विरासत से मिली है
यह आत्म-निर्भरता मुझे मेरे बाप से मिली है
और मेरे बाप को अपने बाप से
और मेरे बाप के बाप को उसके बाप से मिली है
यह आत्म-निर्भरता शायद हमारे संविधान में
कहीं लिखी हुई है या फिर उससे भी पहले
हमारे किसी शास्त्र या वेद-ग्रंथ में लिखी हुई है
कि मैं भारत का आम नागरिक
जब से होश संभालता हूँ
खुद कमा के खुद खाता हूँ
और अपना परिवार चलाता हूँ
और करदाता बनकर
भारत की सरकार चलाता हूँ
कि मैं भारत का आम नागरिक
रोज़ काम करके जितना कमाता हूँ
उसमें महज़ तीन वक़्त का खाना खा पाता हूँ
कि मैं भारत का आम नागरिक
सरकार से जो कुछ भी सेवाएँ पाता हूँ
उसका कर-सहित बिल चुकाता हूँ
कि मैं भारत का आम नागरिक
ज़रूरत पड़ने पर सरकार से
जो भी क़र्ज़ उठाता हूँ
वो भारत में रह कर ही संग ब्याज चुकाता हूँ
कि मैं भारत का आम नागरिक
ऐसी आपात्कालीन स्थिति में
पी एम, सी एम फंड में जितना भी हो सके
योगदान पाता हूँ
लेकिन अपने घर
पैदल , नंगे पाँव , मीलो-मील चल कर
भूखा प्यासा जाता हूँ
कि मैं भारत का आम नागरिक
किसी भाषण या किसी सरकारी स्कीम से
आत्म-निर्भर नहीं हूँ
मैं अपने हालात से आत्म-निर्भर हूँ
मैं अपनी औकात से आत्म-निर्भर हूँ।
अंत, मैं प्रमाणित करता हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपरोक्त जानकारी मेरे ज्ञान और विश्वास के अनुसार सत्य है।
भारतीय आम नागरिक
और हाँ !
एक सवाल
मेरी तरह तुम भी आत्म-निर्भर हो सकते हो क्या ?
बिना कर वसूले अपनी सरकार चला सकते हो क्या ?
