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Nation First

माथे तिलक लगाती हमको, वीर प्रसूता मातायें,
वीर शिवा, राणा, सुभाष की, भरी पड़ी हैं गाथायें।
सरहद है महफूज हमारी, अपने वीर जवानों से,
लिखते है इतिहास नया नित, जो अपने बलिदानों से।।

आज सिन्धु ने विष उगला है,
लहरों का यौवन मचला है।

आज ह्रदय में और सिन्धु में, साथ उठा है ज्वार,
तूफानों की ओर घुमा दो, नाविक निज पतवार।

‘क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुए विनीत जितना ही,
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही।

सच पूछो, तो शर में ही
बसती है दीप्ति विनय की,
सन्धि-वचन संपूज्य उसी का जिसमें शक्ति विजय की।


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