मीठी सी मुस्कान संग लिपटी,
सपनों के समुंदर से नहाकर,
प्रेम लहरों में गोते लगाकर,
यादों की मिठ्ठी चुस्की संग,
दिल की खिड़की से निहारती,
थोड़ी इठलाती, फिर बलखाती,
बरसाती नदी सी शर्माती,
मेरी प्रेमिका… !
Related Articles
कभी खुद से बातें करती,
कभी फ़ोन में नंबर दबाती,
आईने में खुद को देखकर,
शहर प्यारा सजाती,
मेरी प्रेमिका… !
शहर के पांच सितारो में,
संगीत के प्यारे तारों में,
‘रोमांटिक इंडिया’ के झनकारो में,
रैंप के लाल दीवारों में,
अंग्रेजी में धुन गुनगुनाती,
मेरी प्रेमिका… !
जंगलो के वनो में,
पवन की अंगड़ाई में,
खेल के मैदानों में,
खदानों-कारखानों में,
जीवन-आशा की मधुचर्चा में,
मधुमय गीत गुनगुनाती,
मेरी प्रेमिका… !
फटेहाल बच्चों के खाली बस्ते में,
मध्याहन भोजन वाली जूठी थाली में,
नरेगा और मनरेगा की फटी विवाईयों में,
पुलिस की गालियों और नक्सलवाद के आतंक में,
मिटटी के सौधेपन को जगाती,
अपने में बसाती,
मेरी प्रेमिका… !
मेरे चहरे पर मुस्कान लाकर,
अपने दुःख की रेखाएं मिटाकर,
खिलखिलाती इठलाती बलखाती झूमती,
चिड़ियों सी चहकती,
फिर भी अकेले में छुप-छुप कर रोती,
आँसुओं को पीती,
मेरे परिवार के गुलशन को महकाती,
मेरी प्रेमिका… !
© Pawan Belala 2018