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गजल

बात दिल की उन्हेँ बता क्या कीजे मुहब्बत को खबर बना  क्या कीजे याद तेरी है  दर्द मेरे इस दिल का तू बता इस मर्ज की दवा क्या कीजे चाँद सूरज हैँ महमाँ तेरी महफिल मेँ वफा की शम्मा वहाँ जला क्या कीजे ख्वाब हजारोँ रोशन हैँ तेरी आँखोँ मेँ अँधेरे अपने दिल के दिखा क्या कीजे जख्म फूलोँ ने दिये बस ये शिकवा है इस जीस्त को गुलशन बना क्या कीजे मोहिन्दर कुमार



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