बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत दौरा. पीएम मोदी के साथ मिलकर किये कई अहम् समझौते. बंगाल सीएम ममता बनर्जी सदमे में !
हाल ही मैं बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का भारत दौरा जिसका प्रमुख उदेश्य था तीस्ता नदी के जल बँटवारे पर भारत और बंगाल राज्य की सीएम ममता बनर्जी से बातचीत करना तथा इस समझोते को अंतिम स्वरूप देना. इस बात का अंदाजा पहले से ही था की ममता बनर्जी उनके इस प्रस्ताव को पूरी तरह ठुकरा देंगी और ममता ने किया भी वही.
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ममता बनर्जी ने कहा की सिक्किम में बाँध बनने के चलते बंगाल में पहले ही पानी की कमी है. लेकिन ममता ने बड़ी ही सफाई से इस बात को छुपा लिया की तीस्ता नदी का अतिरिक्त पानी गजबोदा बाँध से पश्चिम बंगाल की और ही भेजा जाता है जो वहां से होते हुए समुंदर में मिल कर बेकार चला जाता है.
आपको बता दें जब ममता बैनर्जी अटल सरकार के समय केंद्र में मंत्री थीं उस वक्त तक उनको तीस्ता नदी के जल बंटवारे पर कोई जयदा आपत्ति नहीं थी. तब वो सिर्फ इतना सा ही कहती थीं की भारत और बंगलादेश के बीच जल का संतुलन बराबर बना रहना चाहिए. लेकिन जब से ममता बनर्जी बंगाल के अन्दर मुस्लिम वोटों की बजह से सत्ता पर काबिज हुई हैं तभी से उनके हाव भाव बहुत बदल गए हैं.
अब एकदम ममता बनर्जी को बंगाल के किसानो का दर्द दिखने लगा. ममता ने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा उन्होंने अगर बंगाल की जनता के हितों से परे बंगलादेश के साथ कोई समझौता किया तो बंगाल में भयंकर दंगे हो जायेंगे. अराजकता फ़ैल जायेगी जिसके लिए प्रधानमंत्री मोदी स्वयं जिम्मेदार होंगे.
ममता बनर्जी का बंगाल के किसानो के प्रति ये प्रेम देखने सुनने में तो बेहद अच्छा लगता है लेकिन इसके पीछे का सच कुछ और है. दरअसल पिछले 6 सालों से ममता बनर्जी की सरकार में मुस्लिमों के बढ़ते हुए प्रभाव को देख कर कहा जा सकता है की बंगाल के अन्दर कट्टरपंथी मुस्लिमों ने ममता को एक तरह से हाईजेक कर लिया हुआ है. इसके कई उदहारण बंगाल के अन्दर देखने को मिल चुके हैं. फिर चाहे वो सीमा पार से घुसपैठ हो तस्करी हो या फिर नकली नोटों की तस्करी. इन सभी अपराधों में बंगलादेश के आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन का हाथ पाया गया.
ये कट्टरपंथी जेहादी सीमा पार से इन आतंकवादी गतिविधियों से न केवल करोड़ों रुपये की काली कमाई कर रहे हैं वल्कि बंगाल में जनसँख्या का संतुलन बिगाड़ कर हिन्दुओं पर अटैक भी कर रहे हैं. अभी हाल ही में आपने इमाम बरकती के ममता बनर्जी के साथ गूढ़ संबंधो के बारे में कई टीवी चैनलों पर उसकी अकड़ को देख कर अंदाजा लगा ही लिया होगा. इसके अलावा भी ममता को कई कट्टरपंथी घेरे हुए बैठे हुए हैं. बंगाल में रहने वाले इन सभी मौलानाओं के सम्बन्ध बंगलादेश के आतंकवादियों से जुड़े हुए हैं. इसी कारण तीस्ता नदी जल समझौता ये कट्टरपंथी ममता के माध्याम से रोके हुए हैं.
आपको बता दें बांग्लादेश में शेख हसीना लगातार पिछले दस सालों से प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही बंगलादेश के अन्दर सभी कट्टरपंथियों जिनका सम्बन्ध किसी भी आतंकवादी संगठन या गतिविधि से रहा उन सभी को फांसी पर लटका दिया. यानि कहा जा सकता है की बंगलादेश की प्रधानमंत्री ने आतंकवाद का सफाया करने के लिए बेहद ही स्फूर्ति से फैसले लिए. जिनके चलते बहुत से कट्टरपंथी मौलाना भारतीय मौलानाओं से मधुर संबंधो के चलते बांग्लादेश से भागकर बंगाल में आकर छुप गए.
अब बंगाल में ममता बैनर्जी सरकार उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकती क्यूंकि ममता को यहाँ सभी मुस्लिम कट्टरपंथी मौलाना जन धन बल से सपोर्ट करते हैं. इसलिए ममता चाह कर भी उनको कुछ कह नहीं सकती. बंगलादेश से भाग कर अवैध रूप से बंगाल में रह रहे बंगलादेशी कट्टरपंथी ममता को शेख हसीना से इस तीस्ता नदी के जल को बंगलादेश को दिए जाने वाले समझौते को नहीं होने देना चाहते. वो सोचते हैं अगर ऐसा हो गया तो बंगलादेश का किसान शेख हसीना के इस फैसले से खुश हो जाएगा जिसके चलते हसीना एक बार फिर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बन जाएँगी और इधर से भारत में भाजपा के लगातार बढती जीत के चलते बंगाल में छुपे इन अवैध आतंकवादियों पर कभी भी गाज गिर सकती है.
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