मोदी सरकार ने अब कश्मीर के दो अलगाववादी नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. एक यासीन मलिक और दूसरा सैयद अली शाह गिलानी. यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का लीडर है और गिलानी हुर्रियत कांफ्रेंस का नेता है. अब इन दोनों नेताओं के आजादी के दिन ख़त्म होने वाले है. जल्दी ही ये दोनों सलाखों के पीछे नजर आने वाले है. इन दोनों नेताओं पर मनी लोंड्रिंग का आरोप लगा हुआ है. ये दोनों ही नहीं बल्कि कश्मीर के दुसरे अलगाववादी नेता भी जल्दी ही पाकिस्तानी फंडिंग के मामले में जेल में सड़ेंगे.
प्रवर्तन निदेशालय इन दोनों नेताओं से पूछताछ करेगा. दरअसल पिछले साल एनआईए को इस बात का पता चला था कि पाकिस्तान कश्मीर में हिंसा भड़काने और आतंकवाद को भडावा देने के लिए यहाँ फंडिंग कर रहा है. फिर कई एजेंसियों ने मिलकर इस खबर की जांच की और कश्मीर के संदिग्ध बैंक अकाउंट की तलाश जारी की. इस जांच में पचास बैंक खाते ऐसे मिले थे जिनमे खाडी देशों से पैसा आया था. खाता धारकों से पूछताछ करने के बाद पता चला कि गिलानी का बेटा भी इन सब में शामिल था.
पाकिस्तान से आ रहे इस पैसा का इस्तमाल कश्मीर के युवाओं को पत्थरबाजी करने के लिए दिया जाता है. गिलानी और यासीन मलिक ने कश्मीर में पत्थरबाजी करने के लिए दिहाड़ी पत्थरबाज रखें हुए है. इन पत्थरबाजों को तीन सौ से लेकर पांच सौ रूपए तक दिए जाते है. ये लोग युवाओं को आतंकवाद की ओर भडावा देने का भी काम करते है. जब -जब घाटी में हिंसा का माहौल थम जाता है ये दोनों नेता फिर से युवाओं को भड़का कर शांति भंग कर देते है. लेकिन अब इनकी ये दादागिरी नहीं चलने वाली है. अब राज मोदी सरकार का है, मोदी सरकार पाई-पाई का हिसाब लेने वाली है.
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