उत्तरप्रदेश, उतराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर चुनावों के पश्चात जल्द ही गुजरात और हिमाचल में भी विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. जिनके लिए एक बार फिर से भाजपा और कांग्रेस अपनी अपनी जोर आजमाईश करती दिखेंगी. भले ही कांग्रेस धीरे-धीरे पूरे देश से अपना बजूद खोती जा रही हो लेकिन टूटे हौंसले से हिमाचल और गुजरात की राजनीति के माध्यम से दोबारा खड़े होने की कोशिश करेगी. तो वहीँ दूसरी और भाजपा बुलंद हौंसले से कांग्रेस को चित करने के इरादे से चुनाव लड़ना चाहेगी. इन दोनों पार्टियों के राजनितिक घमासान के बीच बाबा रामदेव हिमाचल में कांग्रेस के लिए बड़ी सिरदर्द बन सकते हैं.क्यूंकि आपको याद हो हिमाचल में सोलन जिले के कंडाघाट के समीप साधूपुल में योगगुरू बाबा रामदेव ने पतंजलि योगपीठ की और से एक प्रोजेक्ट लगाया था.
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उस समय हिमाचल के अन्दर बीजेपी की सरकार थी. 2012 के विधानसभा में हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बनते ही वीरभद्र सिंह ने सोनिया गांधी के इशारे पर बीजेपी सरकार द्वारा बाबा रामदेव के ट्रस्ट को लीज पर दी गई जमीन की 19 फरवरी 2013 को लीज रद्द करते हुए उस पर कब्जा कर लिया. अब लगभग पांच साल तक उस बिल्डिंग पर कब्जा जमाये रखने के पश्चात उसका मामला बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा में उठा. सतापक्ष के विधायक अनिरूद्व सिंह के सवाल पर राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि पतंजलि योगपीठ को लीज की जमीन वापिस लौटाने पर सरकार ने अभी अंतिम फैसला नहीं लिया हैं तथा मामला विचाराधीन है.
उन्होंने कहा कि इस मामले को केबिनेट में ले जाया गया तथा वहां ये फैसला लिया गया कि अगर बाबा रामदेव याचिका वापस लेते हैं तो रिप्रेजेंटेशन पर विचार किया जाएगा. नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल और भाजपा के राजीव बिंदल द्वारा पूछे गए अनुपूरक सवालों के जवाब में राजस्व मंत्री ने बताया कि भाजपा शासन में पतंजलि योगपीठ को जमीन देने में अनियमितताएं हुई थीं तथा धूमल सरकार ने जल्दबाजी में यह फैसला लिया था. कौल सिंह ने कहा कि पतंजलि योगपीठ की तरफ से आचार्य बालकृष्ण ने किसी और व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटार्नी दे दी जबकि बालकृष्ण को खुद साइन करने थे तथा नियमों के तहत वह किसी अन्य व्यक्ति को पॉवर ऑफ अटार्नी नहीं दे सकते थे.
अगर बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण दोबारा से उन सभी ओपचारिक्ताओं को पूरा कर देते हैं तो यह जमीन उनको दोबारा दी जा सकती है .लेकिन भाजपा के नेताओं द्वारा कहा जा रहा है की अब जब प्रदेश में चुनाव सामने आ रहे हैं तो कांग्रेस देश के अन्दर अपनी बढती हार को लेकर बुरी तरह से घबराई हुई है और इस वक्त वो बाबा रामदेव को पुनः जमीन बहाल करके उनकी और से सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही है जोकि संभव नहीं है.
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