मोदी जी के इस काम की जितनी तारीफ़ की जाए कम है, दुःख इस बात का है आज़ादी से आज तक दूसरी कोई सरकार ये नहीं कर पायी ।
शत्रु संपत्ति कानून संशोधन विधेयक 2017 को संसद की मंजूरी दी. भारत में 1968 में यह कानून लागू किया था जिसके तहत सरकार को अधिकार दिए गए थे कि वे अपने भारतीय नागरिकों की संपत्तियां जब्त कर सकती है जो युद्ध के दौरान चीन या पाकिस्तान चले गए थे. भारत ने इन संपत्तियों को ‘दुश्मन की संपत्ति’ का नाम दिया था.
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संशोधन विधेयक में ‘दुश्मन’ की परिभाषा का विस्तार किया गया है और इसमें दुश्मन करार दिए गए व्यक्ति के कानूनी वारिसों को भी शामिल कर लिया गया है चाहे वारिस भारत का नागरिक हो या किसी ऐसे देश को जिसे भारत दुश्मन नहीं समझता.
कहा ये भी जा रहा है कि कानून की मंजूरी के मामले में नवाब ऑफ भोपाल की संपत्ति भी सरकारी हिरासत में जा सकती है. इसी तरह शर्मिला टैगोर और उनके बेटे फिल्म स्टार सैफ अली खान भी संपत्ति खो सकते हैं क्योंकि सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी के परिवार के भी कुछ लोग कई दशकों पहले पाकिस्तान चले गए थे.
संसद में इस कानून पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी सरकार को अपने दुश्मन राष्ट्र या उसके नागरिकों को संपत्ति रखने या व्यावयायिक हितों के लिए मंजूरी नहीं देनी चाहिए. शत्रु संपत्ति का अधिकार सरकार के पास होना चाहिए न कि शत्रु देशों के नागरिकों के उत्तराधिकारियों के पास.
उन्होंने कहा कि जब किसी देश के साथ युद्ध होता है तो उसे शत्रु माना जाता है और शत्रु संपत्ति : संशोधन एवं विधिमान्यकरण : विधेयक 2017 ’’ को 1962 के भारत चीन युद्ध , 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध और 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के संदर्भ में ही देखा जाना चाहिए.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में यह फैसला सुनाया था कि भारत छोड़कर जाने वालों संपत्ति के कानूनी वारिस जो भारतीय नागरिक हैं वे ‘दुश्मन संपत्ति’ वितरण का दावा कर सकते हैं । सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मोह्ममद खान राजा मुरादाबाद केस महमूद निपटाने के पूर्व राजा के परिवार की ओर से दायर याचिका पर सुनाया था कि 1947 में विभाजन के दौरान भारत छोड़ गए थे ।
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