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जात गाली हो गई

जात अब जात नहीं रही गाली हो गई
गरीब की जोरू सबकी साली हो गई है।

जिसे भी देखिए उगल देता है बहुत कुछ
रिश्‍ते नाते जिन्‍दगी सवाली हो गई है।

आप क्‍या सोचते हो भला कर रहे हो
सेवाभाव मदद की बातें मवाली हो गई है।

रूतबा पद सम्‍मान सब बेकार की हैं बातें
पल पल अब सांसो की रखवाली हो गई है।

बच कर रहना जनाब ये अजब शहर है
इश्‍क मुहब्‍बत पुरानी कव्‍वाली हो गई है।

मुस्‍कुरा रहे हो ग़ज़ल कोई पुरानी पढ़ कर
विक्षिप्‍त की बातें जनाब निराली हो गई है।



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