क्या है महाभियोग प्रस्ताव और कैसे लागु होता है Know All About Impeachment Motion: पिछले कई महीनो से विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर हमला कर रहा है। अब एक नया मामला आया है जस्टिस लोया के मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कह दिया है की ये मामला निराधार है और जिसपर कोई सुनवाई नही होगी। जबकि जस्टिस लोया का मौत एक शक के घेरे में था विपक्ष ये आरोप लगाते आ रहा है की लोया की मौत नही उनकी हत्या की गई, जिसका केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था।
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इस केस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य नयय्धिस दीपक मिश्रा ने ये फैसला सुनाया था जिसपर कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया है और चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव उप राष्ट्रपति वंकैया नायडू को सौप दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सामान करते हुआ NDTV के सीनियर पत्रकार रविश कुमार ने अपने Facebook page पर जमकर आलोचना किया है। उन्होंने कहा कि बिना तथ्यों को देखे हुए ये फैसला मानने योग्य नही है और ये भी कहा है की कोर्ट को जाच बंद नही करना चाहिए।
क्या है महाभियोग प्रस्ताव What is Impeachment Motion ?
महाभियोग (Impeachment Motion) एक प्रक्रिया (Process) है जिसका प्रयोग कर के राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जजों को हटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस महाभियोग का ज़िक्र संविधान के अनुच्छेद 61, 124 (4), (5), 217 और 218 में विस्तार से किया गया है।
महाभियोग प्रस्ताव (Iimpeachment motion) सिर्फ तब लाया जा सकता है जब किसी उच्च पद पर बैठे व्यक्ति चाहे वो राष्ट्रपति या सुप्रीम और हाई कोर्ट के जज हो वो अगर हमारे संविधान का उल्लंघन, दुर्व्यवहार या अपने पॉवर का गलत इस्तेमाल कर रहे है तो उनक खिलाफ विपक्ष की पार्टी महाभियोग प्रस्ताव (Iimpeachment motion) लती है। नियमों के मुताबिक़, महाभियोग प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है। लेकिन लोकसभा में इसे पेश करने के लिए कम से कम 100 सांसदों के दस्तख़त, और राज्यसभा में कम से कम 50 सांसदों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं।
इसके बाद अगर उस सदन के स्पीकर या अध्यक्ष उस प्रस्ताव को स्वीकार करने के बाद (वे इसे ख़ारिज भी कर सकते हैं) एक तीन सदस्यों की एक समिति बनाकर पुरे मामले की जांच करवाई जाती है। उस समिति में एक सुप्रीम कोर्ट के जज, एक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस और एक ऐसे प्रख्यात व्यक्ति को शामिल किया जाता है जिन्हें स्पीकर या अध्यक्ष उस मामले के लिए सही समझते हो।
महाभियोग कैसे लागु होता है Impeachment Motion Process
अगर महाभियोग का प्रस्ताव दोनों सदनों (लोकसभा, राज्यसभा) में लाया गया है तो दोनों सदनों के अध्यक्ष मिलकर एक संयुक्त जांच समिति बनाते हैं।
दोनों उच्च सदनों में प्रस्ताव देने की सूरत में बाद की तारीख़ में दिया गया प्रस्ताव रद्द कर दिया जाता है। जांच पूरी हो जाने के बाद तीन सदस्यों की समिति अपनी रिपोर्ट स्पीकर या अध्यक्ष को सौंप देती है जो उसे अपने सदन में पेश करते हैं। अगर जांच रिपोर्ट में कोई भी पदाधिकारी दोषी साबित होता है तो सदन में वोटिंग कराई जाती है।
महाभियोग प्रस्ताव पारित होने के लिए उसे सदन के कुल सांसदों का बहुमत या वोट देने वाले सांसदों में से कम से कम दो तिहाई का समर्थन मिलना ज़रूरी है। अगर दोनों सदन में ये प्रस्ताव पारित के बाद इसे मंज़ूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है। किसी जज को हटाने का अधिकार सिर्फ़ राष्ट्रपति के पास है।
आज तक किसी जज को नहीं हटाया गया
भारत में अभी तक तो किसी जज को महाभियोग लाकर हटाया नहीं गया क्योंकि इससे पहले के सारे मामलों में कार्यवाही कभी पूरी ही नहीं हो सकी। कभी ऐसा नही हुआ की प्रस्ताव को पास करने के लिए बहुमत मिला हो, या फिर जजों ने उससे पहले ही इस्तीफ़ा दे दिया।
हालांकि इस पर विवाद है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जज वी. रामास्वामी को महाभियोग का सामना करने वाला पहला जज माना जाता है। उनके ख़िलाफ़ मई 1993 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था।
आभार बीबीसीहिंदी
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