तुतला भवानी मंदिर का इतिहास Maa Tutla Bhawani Dham Mandir History in Hindi: बिहार के रोहतास जिले के तिलौथू प्रखण्ड में मां तुतला भवानी की प्राचीन मंदिर स्थिति है। इतिहासकार बताते है के राजा प्रतापध्वल देव द्वारा लिखवाए गए दो शिलालेख यहां आज भी मौजूद हैं।
कहा जाता है कि तुतलेश्वरी भवानी का का दर्शन करने से मनोवांछित फल प्राप्ति होती है। शारदीय नवरात्र की नवमी तथा श्रावण पूर्णिमा के शुभ अवसर पर माता का दर्शन करने के लिए बिहार के हर कोने से लोग आते है और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
तुतला भवानी मंदिर का इतिहास Maa Tutla Bhawani Dham Mandir History in Hindi
तुतला भवानी धाम का मंदिर रोहतास जिला मुख्यालय से 38KM दूर तिलौथू प्रखंड में कैमूर की मनोरम पहाडियों में स्थित है। फ्रांसिसी इतिहासकार बुकानन जब 14 सितम्बर 1812 ई के रोहतास यात्रा के लिए पहुचे थे।
इतिहासकार बुकानन अपने यात्रा में लिखते है कि यह प्रतिमा प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है। तुतला भवानी की दो प्रतिमाएं विराजमान है। एक पुरानी और खंडित प्रतिमा है जबकि दूसरी नई है। वहा आसपास देखने पर कई शिलालेख हैं।
रोहतास के इतिहासकार डा. श्याम सुन्दर तिवारी के अनुसार पुराना शिलालेख शारदा लिपि में 8 वीं सदी का है, जो अपठित है। और इसके बाद का शिलालेख बारहवीं सदी के खरवार के राजा धवलप्रताप देव ने स्थापित करवाया था है। 19 अप्रैल 1158 ई. में दुर्गा की दूसरी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के समय लिखा गया है।
दूसरी प्रतिमा की शिलालेख में राजा धवलप्रताप देव की पत्नी सुल्ही, भाई त्रिभुवन धवल देव, पुत्र बिक्रमध्वल देव, साहसध्वल देव तथा पांच पुत्रियों के साथ पूजा अर्चना के साथ प्राण प्रतिष्ठा करायी है। इसकी पुष्टि शिलालेख करता है। तुतला भवानी मंदिर पहाड़ी की घाटी में स्थित है। मंदिर के सटे पहाड़ी में कछुअर नदी बहती है। तुतला भवानी मंदिर के आसपास की प्राकृतिक छटा मनोरम है। यहाँ पढिये माता पटन देवी मंदिर कथा और इतिहास
तुतला अष्टभुजी भवानी की मूर्ति गड़वाल कालीन कला का सुंदर झलक है। माता का प्रतिमा देखने से पता चलता है कि दैत्य महिषासुर की गर्दन से निकल रहा है, जिसे देवी अपने दोनों हाथो से पकड़कर त्रिशूल से मार रही हैं।
धाम तक पहुंचने का रास्ता नहीं है। इस कारण कम लोग पहुंचते हैं। लोगों कहना है कि नवरात्र में काफी भीड़ रहती है। मार्ग का निर्माण होने पर धाम में सैलानियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो सकता है।
Tutla Bhawani Dham Mandir ka Darshan
माता के दर्शन के लिए श्रावण मास में पूरे माह मेला तथा नवरात्र में 9 दिनों के मेले का आयोजन होता है। मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो यहां अशुद्ध मन से जाता है, उसे भ्रामरी देवी (भंवरा) का प्रकोप झेलना पड़ता है। ऐसी घटनाएं बहुत लोगों के साथ घाट चुकी जिनके मन में कुछ गलत भावना होती है।
यहां बकरे की बलि देने का रिवाज है। किवदंती है कि मंदिर प्रांगण में नवरात्र की नवमी तिथि की मध्य रात्रि में परियों द्वारा नृत्य-गीत के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। लोग कहते है कि रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड के कई गांवों के लोग पहले तुतलेश्वरी माता की पूजा अर्चना कर ही कुलदेवता की पूजा अर्चना करते हैं।
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महिषासुर मंर्दिनी तुतला भवानी की प्रतिमा तुतराही जल प्रपात के मध्य में स्थापित है। पूरे रोहतास व कैमूर जिले में इस प्रकार का अद्भुत जल प्रपात नहीं है। इतिहासकार डा. श्याम सुन्दर तिवारी बताते है कि इतना मनोरम प्राकृतिक सौन्दर्य पूरे बिहार में नहीं है।
कैसे पहुंचे तुतला भवानी मंदिर How to Reach Tutla Bhawani Mandir
मां तुतला भवानी का मंदिर का रोहतास जिला मुख्यालय से 38KM दूर तिलौथू प्रखंड में कैमूर की मनोरम पहाडियों में स्थित है। यहाँ पहुचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन डेहरी आन-सोन है। वहीं निकटतम बस स्टैंड रामडिहरा आन-सोन है। यह बस स्टैण्ड NH-2 सी (डेहरी-यदुनाथपुर पथ) पर अवस्थित है। यहां से 5 किमी. पश्चिम कैमूर पहाड़ी की घाटी में जाना पड़ता है। इसके लिए आटो रिक्शा उपलब्ध है। मंदिर से 100 मीटर की दूरी तक सड़क बनी हुई है। 60 किलोमीटर पश्चिम में मुंडेश्वरी माता का मंदिर है, जो पहा़ड पर स्थित है।
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