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आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 12)


(भाग – 12)
 बद्रीनाथ धाम की यात्रा -1


आपने अभी तक “आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व”, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व”आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश) , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा , आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्राआओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन, आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1"), आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2", आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3") एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा" में आपने पढ़ा कि कैसे ब्लॉग एवं अन्य माध्यम से जानकारी जुटा कर मैंने यात्रा से संबंधित एक बारह दिवसीय कार्यक्रम की रूप-रेखा बनाई. जब विश्वसनीय वेब-साईट से पता चला कि सड़क एवं मौसम यात्रा के लिए अनुकूल है तब जाकर हमलोग ने अपनी यात्रा प्रारंभ की. “हर की पौड़ी”, ऋषिकेश, यमनोत्री, बड़कोट, उत्तरकाशी, गंगोत्री यात्रा, सिद्ध गुरु बाबा चौरंगीनाथ के मंदिर दर्शन एवं ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम दर्शन के के साथ ज्योर्तिर्लिंग श्री केदारनाथ जी का रुद्राभिषेक करने के बाद श्री केदारनाथ जी की शीतकालीन निवास स्थल के नैनाभिराम दृश्य को दिल में सहेज कर विशाल बद्री के दर्शन अर्थात श्री बद्रीनाथ धाम को चल पड़े.
अब आगे .... 

हेलिकॉप्टर प्रकरण के कारण फाटा से ऊखीमठ तक की यात्रा थोड़ी बोझिल लगी परन्तु ओमकारेश्वर मंदिर में प्रवेश करते ही तन-मन में स्फूर्ति आ गई और जब हमलोग श्री बद्रीनाथ धाम को चले तो माहौल को हलका-फुलका बनाने की लिए मेरी धर्मपत्नी मुझसे कहने लगी "अच्छा! सच-सच बताइयेगा कि आपने कैमरा फोटो लेने के लिए ही निकाले थे न." इतना सुनते ही सभी ने ठहाका लगाया और यह वाक्य मेरे कैमरा प्रेम के संदर्भ यदा-कदा अभी भी मजाक के रूप में कहीं न कहीं मेरे श्रीमती जी के द्वारा इस्तेमाल होता है. खैर! ऊखीमठ से श्री बद्रीनाथ धाम की दूरी लगभग 170 कि.मी. है और इस दूरी को तय करने में गूगल बाबा के अनुसार करीब पौने छः घंटे लगने थे. अतः अनुमानतः हमलोग रात को करीब 7 बजे श्री बद्रीनाथ पहुँचना था.  चमचमाती हुई टू-लेन सड़क भी थी और प्राकृतिक नज़ारे भी मनोरम थे. परन्तु जैसे-जैसे हमलोग श्री बद्रनाथ जी के पास पहुँच रहे थे वैसे-वैसे अँधेरा बढ़ता जा रहा था जिसके कारण गाड़ी सावधानी के साथ धीरे-धीरे चलाना पड़ रहा था. बीच-बीच में बच्चों के लघु-शंका के लिए रुकना भी पड़ रहा था. जिसके कारण यात्रा विराम के निर्धारित समय में एक घंटा बढ़ जाने के कारण हमलोग करीब 8 बजे श्री बद्रीनाथ पहुँचे . इतनी लम्बी यात्रा कर सभी थक गए थे. मंदिर जाने के रास्ते पर बैरियर लगा था. एक-दो आदमी ही वहाँ नज़र आ रहे थे. वहाँ से कुछ दूरी पर बहुत सी गाड़ियाँ सड़क के किनारे खड़ी थी. तब मेरे भाई ने कहा "आप और भाभी दर्शन करने जाइए, मैं सपरिवार आपसे सामने दिख रहा पार्किंग के पास मिलूँगा." मैं और मेरी पत्नी वहाँ उतर कर मंदिर के रास्ते पर चल पड़े. अनजान जगह होने के कारण अंधरे में रास्ता का पता भी नहीं चल रहा था. किसी तरह एक राहगीर से पूछ कर फिर आगे बढ़े. कुछ दूर चलने पर दुकाने दिखनी शुरू हो गई और मंदिर के पास पहुँचने पर ऐसा लगा कि श्री बद्रीनाथ की सारी जनता मंदिर के आस-पास ही जमा है. रात में भी दिन जैसा माहौल था. रौशनी से मंदिर के आस-पास का इलाका जगमगा रहा था. अलकनंदा नदी के ऊपर बने पुल को पार कर मंदिर के प्रांगन में प्रवेश करना पड़ता है. पुल पार करने के पहले ही अलकनंदा नदी के किनारे से मंदिर का दर्शन हुआ जिसे देख कर सारी थकान दूर हो गई. 

रात को नौ बजे मंदिर का पट बंद हो जाता है अतः हमलोग जल्दी पुल पार कर सिंह द्वार पहुँचे. वहाँ भीड़ काफी थी परन्तु प्रभु कृपा से हमलोगों मंदिर के दर्शन मंडप से भाव-विभोर हो कर भगवान् का दर्शन किए. हमलोग आपने आप को बहुत भाग्यशाली मान रहे थे कि शादी की सालगिरह पर बाबा केदारनाथ जी एवं भगवान् बद्री विशाल का आशीर्वाद एक साथ मिला. मंदिर में श्री बद्री भगवान् की शयन आरती चल रही थी इसलिए मंदिर के गर्भ-गृह में प्रवेश नहीं मिल पाया. 

हमलोग प्रसाद लेकर वापस लौटे परन्तु अँधेरा होने के कारण जिस रास्ते से आए थे वो पता नहीं चला परन्तु किसी से पूछ कर आगे बढ़ने पर हमलोग पुराने रास्ते पर आ गए. रास्ते में एक यात्री निवास दिखा तो वहाँ पर गए और कमरे को खुलवाकर देखा जो रहने लायक था, तो हमदोनों ने सोचा आज रात यहीं पर रुकेंगे. हमलोग बैरियर पार कर जब कार पार्किंग के तरफ बढ़े तो अपनी कार कहीं नज़र नहीं आ रही थी. हमलोग आगे बढ़ते गए श्री बद्रीनाथ का बस स्टैंड भी गुजर गया. सुनसान जगह थी हमें लग रहा था कि कहीं हमलोग दूसरी दिशा की तरफ तो नहीं बढ़ रहें हैं. नेटवर्क नहीं मिलने के कारण फोन भी नहीं लग रहा था. रात के करीब दस बजने वाले थे. हमदोनों फिर से बैरियर के तरफ चल पड़े अभी बैरियर के पास ही पहुँचे थे कि भाई की गाड़ी सामने से आती दिखाई दी तो जान में जान आई. भाई ने बताया कि बच्चों को टॉयलेट जाना था इस लिए पास के एक गेस्ट हाउस में पाँच बेड का कमरा ले लिया है. हमलोग भी फ्रेश हो कर रात का खाना खाया और सो गए.    
शेष  30-11-2018 के  अंक में .................................
इस यात्रा के दौरान नजारों का लुत्फ़ आप नीचे दिए गए चित्रों से लें :






भाग -1  पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 1) यात्रा पूर्व

भाग -2 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

“आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 2) यात्रा पूर्व


भाग -3 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :


आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 3)  हरिद्वार (प्रथम पड़ाव एवं विधिवत रूप से चार धाम यात्रा का श्री गणेश)

भाग -4 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 4)  लक्ष्मण झुला दर्शन एवं बड़कोट की यात्रा

भाग -5 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

एवं आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 5)  यमनोत्री धाम की यात्रा

भाग -6 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :

आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग – 6) उत्तरकाशी की यात्रा एवं विश्वनाथ मंदिर और शक्ति मंदिर दर्शन

भाग -7 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –7) गंगोत्री धाम की यात्रा)

भाग -8 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –8) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -1 

भाग -9 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –9) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -2

भाग -10 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –10) श्री केदारनाथ धाम की यात्रा -3

भाग -11 पढ़ने के लिए नीचे क्लिक करें :
आओ छोटा चार धाम यात्रा पर चलें – (भाग –11) ऊखीमठ की यात्रा


©  राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"       


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