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मित्र मंडली -44



मित्रों ,
"मित्र मंडली" का चौवालिसवां अंक का पोस्ट प्रस्तुत है। इस पोस्ट में मेरे ब्लॉग के फॉलोवर्स/अनुसरणकर्ताओं के हिंदी पोस्ट की लिंक के साथ उस पोस्ट के प्रति मेरी भावाभिव्यक्ति सलंग्न है। पोस्टों का चयन साप्ताहिक आधार पर किया गया है।  इसमें  दिनांक 13.11.2017  से 19.11.2017  तक के हिंदी पोस्टों का संकलन है।

पुराने मित्र-मंडली पोस्टों को मैंने मित्र-मंडली पेज पर सहेज दिया है और अब से प्रकाशित मित्र-मंडली का पोस्ट 7 दिन के बाद केवल मित्र-मंडली पेज पर ही दिखेगा, जिसका लिंक नीचे दिया जा रहा है  :-

HTTPS://RAKESHKIRACHANAY.BLOGSPOT.IN/P/BLOG-PAGE_25.HTML
मित्र-मंडली के प्रकाशन का उद्देश्य मेरे मित्रों की रचना को ज्यादा से ज्यादा पाठकों  तक पहुँचाना है। 

आप सभी पाठकगण से निवेदन है कि दिए गए लिंक के पोस्ट को पढ़ कर, टिप्पणी  के माध्यम से अपने विचार जरूर लिखें। विश्वास करें ! आपके द्वारा दिए गए विचार लेखकों के लिए अनमोल होगा।  

प्रार्थी 

राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"

मित्र मंडली -44     

 इस सप्ताह के नौ  रचनाकार 

तुम कवि हो...पर मै.......!

अनु अन्न लागुरी  जी 

"कहते हैं ''जहाँ न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि'' परन्तु जब कोई किसी  वेदना और हर्ष को जीता है तो क्या कवि उस पीड़ा या सुख को कलमबंद कर सकता है कर भी लिया तो क्या उसकी रचना, पीड़ा या सुख भोगने वालों की बराबरी कर पाएगा, शायद नहीं। भोगने और कल्पना करने में आसमां और जमीं का अंतर है।  सुन्दर कविता एवं प्रस्तुति "

रूठे हैं अपने ही.....

यशोदा अग्रवाल  जी 
"कहाँ आसान होता जीना, अपनो से बिछुड़ कर जो आपके संबल होते है परन्तु जीवन में कभी ऐसा पल आ जाए तो अपने आप को टूटने नहीं देना है अपने आप को जोड़ना है हिम्मत बांधनी है और जीवन का नए गीत गाना है ऐसी ही सुन्दर सन्देश देती सुन्दर कविता। 

दो दिन का इश्क़ 

श्वेता सिन्हा जी 




"अपने प्रियतम की याद में लिपटी भावपूर्ण  सुन्दर कविता। "

शहद है तू !

मीना शर्मा जी 

"सही फ़रमाया है संतान ही माँ की रूह होती है। सुन्दर कोमल भावों से सजी  सुन्दर कविता। " 

दोहे "नारी बहुत अनूप"

राधा तिवारी  जी  

"स्त्री के सुलभ प्रवृति को दोहे में  सुन्दर ढ़ंग से  प्रस्तुत किया है।"

ये कहानी भी सुनानी, है अभी तक गाँव में ...

दिगम्बर नसवा  जी 

"गाँव के साथ जुड़ी उसकी यादों को बखूबी पेश किया है इस सुन्दर ग़ज़ल में , मन केवल वाह !वाह !वाह ! कहना चाहता है ।  

माँ, बेटा और प्रश्न

पुरषोत्तम कुमार सिन्हा जी 

"गहरे अर्थ, बच्चों के सभी तरह की परेशानी माँ सदैव मदद को आगे रहती है परन्तु बात जब अपने दुःख की हो तो माँ सदैव चुप रहती है क्योंकि अगर बेटे को पता चलेगा तो वह दुखी होगा। माँ की ममता जैसी कोई मिशाल नहीं।  मार्मिक एवं सुन्दर प्रस्तुति।  "

''अवशेष''

ध्रुव सिंह जी

"हुंकार भरती कविता, जीवन में जीवटता के साथ, हिम्मत के साथ, पुराने गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ते रहने की सन्देश देती  सुन्दर कविता।"

धूर्त फ़िल्मकार

रवींद्र सिंह यादव जी 


"समसामयिक घटना से आहत मन, एक कविता के रूप में प्रस्तुत है। सुन्दर कविता एवं प्रस्तुति।  "

आशा है कि मेरा प्रयास आपको अच्छा लगेगा ।  आपका सुझाव अपेक्षित है। अगला अंक 27-11-2017  को प्रकाशित होगा। धन्यवाद ! अंत में ....

मेरी दो प्रस्तुति  : 

1. शरद पूर्णिमा





2. हरिके वेटलैंड एवं वन्यजीव अभ्यारण्य (भाग-1)












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