विश्व गुरु भारत
मिले विश्व-गुरु का ताज़ भारत को,
करते हैं हम सब अर्चन,पर, हम जानते हैं कि हम ही हैं ,
इसकी राहों में अड़चन।
दोगली नीति हम सब को चाहिए,
हमें ना कोई कष्ट हो,
दूसरे की हो कोई भी गलती,
सज़ा न थोड़ी भी कम हो।
अपना बेटा करे दुष्कर्म कभी,
केस रफा-दफा हो जाए,
गर अपनी बेटी हुई पीड़ित तो,
दोषी को मौत मिल जाए।
करोड़ों लगा कर ही कोई यहाँ,
जब बन जाता है नेता,
समाज की भलाई वही करेगा,
कब समझेगी ये जनता?
पढ़ा-लिखा मंत्री सभी को चाहिए,
नीति निर्धारण करने को,
तो हम ही कैसे तैयार हो गए,
अनपढ़ नेता चुनने को।
शिक्षा-स्वास्थ्य जब बने बाजारू,
देश कभी न बच पाएगा,
विश्व-गुरु का ताज़ मिले भारत को,
ये संभव न हो पाएगा।
सिर्फ अधिकारों के लिए ही लड़ना,
होगी ये बेईमानी,
अगर सपना पूरा करना है तो,
सभी कर्तव्यों का पालन करना,
ऐ मेरे हिन्दुस्तानी।
-© राकेश कुमार श्रीवास्तव "राही"