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एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाए?

Aeronautical Engineering in india in Hindi

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एक ऐसा विषय है जिसके बारे में आजकल के युवाओं की रूचि बहुत अधिक पाई जाती है। वास्तव में खुले आकाश में उड़ते हुये हवाई जहाजों को देखकर किसी भी विद्यार्थी को स्वाभाविक रूप से जिज्ञासा हो जाती है, कि काश वह भी इन विमानों से अपना संबंध जोड़ पाता।

वास्तव में वैमानिकी व विमान से संबंधित इंजीनियरिंग एक बहुत ही आकर्षक विषय है लेकिन इसमें प्रवेश पाना इतना सरल नहीं है जितना दिखता है। किन्तु यदि आप होनहार है, मेहनती है तथा प्रतिस्पर्धा में सफलता पाने की क्षमता रखते है तो फिर इस क्षेत्र में आपको अधिक समस्या नहीं होगी।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाए – Aeronautical Engineering

वैमानिकी में एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स लाइसेंस (Ame License) दो अलग-अलग क्षेत्र हैं और इन्हें प्राप्त करने के तरीके भी बिल्कुल अलग हैं।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग मुख्यतः हवाई जहाज, रॉकेट, स्पेसक्राफ्ट और मिसाइल आदि के निर्माण, डिजाइन, विकास तथा अनुसंधान आदि के सन्दर्भ में होता है। यह उच्च तकनीकी वाला विषय है तथा इसके अंतर्गत बी.टेक, एम.टेक तथा पीएचडी आदि की जा सकती है।

दूसरी तरफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स लाइसेंस एक प्रकार का लाइसेंस होता है जो भारत सरकार के महानिदेशक, डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) द्वारा प्रदान किया जाता है।

डी.जी.सी.ए. द्वारा इस लाइसेंस को प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी व्यक्ति को किसी विमान, विमान के इंजन या विमानों में लगे हुये यंत्रों को प्रमाणित करने की अनुमति दी जाती है।

दूसरे शब्द में कहे तो, कोई विमान तब तक उड़ान पर नहीं जा सकता है जब तक एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर उससे संबंधित कागजों पर अपने हस्ताक्षर न कर दे।

विमानों में खराबी आने पर उसकी मरम्मत, कल-पुर्जों, इंजनों आदि को बदलने की जिम्मेदारी भी एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर की ही होती है।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग एयरोस्पेस इंजीनियरिंग – Aeronautical Engineer And Aerospace Engineering

बी.टेक (एयरो) की डिग्री मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेज से प्राप्त की जा सकती है। इन प्रतिष्ठित कॉलेजों से आप ये डिग्री प्राप्त कर सकते हैं –

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आई.आई.टी.), कानपुर
  • आई.आई.टी., मुंबई
  • आई.आई.टी., खड़गपुर
  • आई.आई.टी., चेन्नई
  • पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़
  • मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, क्रोमपेट, चेन्नई

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम 4 वर्षों का होता है तथा भौतिक विज्ञान, रसायनशास्त्र तथा गणित से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने पर इन की प्रवेश परीक्षा, आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) और फिर JEE Advance में शामिल हो सकते हैं।

ये परीक्षाएं काफी उच्च स्तर की होती हैं इसलिए काफी मेहनत तथा तैयारी की आवश्यकता होती है। ऊपर बताये गए संस्थानों में बी.टेक के बाद एम.टेक तथा पी.एच.डी. भी की जा सकती है।

इसके अलावा इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज, बंगलौर में भी एम.टेक (एयरो) तथा पी.एच.डी. पाठ्यक्रम है।

एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया – Aeronautical Society Of India

एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया प्रतिवर्ष दो बार एसोसिएट मेम्बरशिप एग्जामिनेशन की परीक्षाएँ आयोजित करती है। इन परीक्षाओं के सेक्शन ‘ए’ तथा ‘बी’ को उतीर्ण करने पर बी.टेक (एयरो) के समान योग्यता मानी जाती है। इसके आधार पर एम.टेक में प्रवेश लिया जा सकता है।

इस परीक्षा को पास करने के बाद संद्य लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) द्वारा प्रसारित नौकरियों या अन्य सरकारी, अर्धसरकारी नौकरियों में अप्लाई कर सकते हैं।

एयरोनॉटिकल सोसाइटी की परीक्षायें कुछ-कुछ Amie (एसोसिएट मेम्बर ऑफ द इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनीयर्स) की परीक्षाओं जैसी होती हैं, जिसमें सेक्शन ‘A’ और ‘B’ में दस-दस पेपर शामिल होते हैं।

ये पेपर गणित, विज्ञान, इंजीनियरिंग तथा एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के अलग-अलग विषयों संबंधित होते हैं। प्रतिवर्ष औसतन 40 से 50 लोग इस परीक्षा को पास करते हैं।

एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की परीक्षाओं के लिए भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र तथा गणित के साथ 12वीं परीक्षा पास होना या तीन वर्ष का डिप्लोमा आवश्यक है।

एयरोनॉटिकल सोसाइटी से सम्बन्धित जानकारी वेबसाइट पर भी देखी जा सकती है – www.aerosocietyindia.in

एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर लाइसेंस Aircraft Maintenance Engineer Licence

हवाई जहाजों की मरम्मत व रखरखाव के लिए डी.जी.सी.ए. द्वारा जारी किया गया ए.एम.ई. का लाइसेंस होना आवश्यक है।

यहाँ तक कि यदि कोई बी.टेक (एयरो) डिग्री होल्डर भी विमान की मरम्मत तथा रखरखाव का कार्य करना चाहता है तो उसे भी डी.जी.सी.ए. का ए.एम.ई. लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है। ऐसे इंजीनियरों को एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर या ग्राउंड इंजीनियर कहते हैं।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि महानिदेशक, नागर विमानन (डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन अथ्वा डी.जी.सी.ए.) एक मात्र ऐसी एजेंसी है जो ए.एम.आई लाइसेंस प्रदान कर सकती है।

इस लाइसेंस के लिए डी.जी.सी.ए. द्वारा आयोजित तीन परीक्षायें पास करना तथा उसके बाद मौखिक परीक्षा पास करना आवश्यक है।

ये तीन परीक्षायें

  • पेपर -1 (एयरक्राफ्ट रूल्स तथा रेगुलेशन),
  • पेपर-2 (एयरक्राफ्ट जनरल इंजीनियरिंग तथा मेंटेनेंस प्रैक्टिस) तथा
  • पेपर-3 (एयरफ्रेम या इंजन या संबंधित विषय में विशेष पेपर) होते हैं।

ये पेपर भी बहुत कठिन होते हैं इस उद्देश्य से तैयार किये जाते हैं कि इन्हें पास करने वालों को विमान के एक-एक कल पुर्जे की पूर्ण जानकारी रहे ताकि वे स्वतंत्र रूप से विमान की मरम्मत, रखरखाव तथा सुधार कर सकें।

डी.जी.सी.ए. द्वारा प्रदान किये जाने वाला ए.एम.ई. लाइसेन्स हालांकि बहुत कठिनाई तथा कई वर्षों की मेहनत के बाद प्राप्त होता है, लेकिन इस लाइसेंस का बहुत महत्व है।

इस लाइसेंस को प्राप्त किये हुये लोगों की हवाई कंपनियों आदि में आसानी से नौकरी मिल जाती है तथा उनका वेतन आदि भी बहुत होता है।

डी.जी.सी.. द्वारा मान्यता प्राप्त प्राइवेट संस्थान – Directorate General Of Civil Aviation (DGCA)

महानिदेशक, नागर विमानन (डी.जी.सी.ए.) ने देश के अनेक प्राइवेट संस्थानों को मान्यता प्रदान कर रखी है जिसके आधार पर वे ए.एम.ई. लाइसेंस की परीक्षाओं के लिए संपूर्ण प्रशिक्षण (लिखित, मौखिक तथा प्रायोगिक) प्रदान कर सकते हैं।

इन सभी संस्थानों के पास प्रशिक्षण के लिए छोटे विमान (वास्तविक वायुयान) तथा इंजन आदि उपलब्ध रहते हैं, जिनका होना डी.जी.सी.ए. मान्यता के लिए आवश्यक है। विस्तृत जानकारी के लिए डी.जी.सी.ए. की वेबसाइट देखें – www.dgca.nic.in

ये संस्थान एक प्रकार से कोचिंग प्रदान करने वाले इंस्टीट्यूट होते हैं जो प्रशिक्षणार्थियों को एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से सम्बन्धित विषयों का प्रशिक्षण देते हैं जो तीन से चार वर्षों तक चलता है।

इस प्रशिक्षण के आधार पर प्रशिक्षार्थी एयरोनॉटिकल सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं या फिर ए.एम.ई. लाइसेंस की परीक्षाओं में भाग ले सकते हैं।

डी.जी.सी.ए. द्वारा मान्यता प्राप्त कुछ प्राइवेट संस्थानों की सूची –

  1. स्कूल ऑफ एवियेशन साइन्स एण्ड टेक्नोलॉजी – नई दिल्ली
  2. हिन्दुस्तान एकेडमी ऑफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजिनियर्स – लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
  3. राजीव गांधी मेमोरियल कॉलेज ऑफ एयरोनॉटिक्स – जयपुर (राजस्थान)
  4. वी.एस.एम. एयरोस्पेस – बेंगलुरु (कर्नाटक)
  5. इंस्टीट्यूट ऑफ एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियर्स – सिकंदराबाद (आंध्र प्रदेश)
  6. नेहरू कॉलेज ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड अप्लाइड साइंस – कुनियामुथुर (कोयम्बटूर)
  7. हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स – भोपाल (मध्य प्रदेश)
  8. एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एण्ड एवियेशन – इंदौर (मध्यप्रदेश)
  9. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल साइंस – कोलकाता (पश्चिम बंगाल)
  10. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स – पटना (बिहार)
  11. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिकल साइंस – जमशेदपुर (झारखण्ड)

एयरोनॉटिक्स के क्षेत्र में जाने के लिए अन्य डिग्रियां – Aeronautical Engineering Information

लोगों के दिमाग में एक बड़ी गलतफहमी होती है कि विमानन के क्षेत्र में प्रवेश के लिए केवल एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करना आवश्यक है। लेकिन यह बिल्कुल ही गलत तथ्य है।

वास्तव में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, कंप्यूटर इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि की भी डिग्री के आधार पर भी एयरलाइनों या एयरोनॉटिक्स से सम्बन्धित क्षेत्रों में नौकरी प्राप्त की जा सकती है।

पता करने पर आपको मालूम होगा कि विभिन्न एयरलाइनों के अनेक ए.एम.ई. लाइसेंस होल्डर तथा ग्रेजुएट इंजीनियर एयरोनॉटिकल इंजीनियर न हो कर मैकेनिकल या इलेक्ट्रॉनिक्स आदि ब्रांचों के हैं। ये लोग एक बार नौकरी में प्रवेश पा लेने के बाद एयरोनॉटिकल सोसायटी की परीक्षायें उत्तीर्ण करने या डी.जी.सी.ए. लाइसेंस लेने का प्रयास करते हैं।

वैसे यहां यह बताना भी जरूरी है कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग तथा वैमानिकी के क्षेत्र में प्रवेश का एक और बड़ा विकल्प भारतीय वायु सेना है।

इस प्रकार यदि किसी का चयन विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा चयन प्रक्रियाओं के माध्यम से भारतीय वायु सेना में (विशेष रूप से तकनीकी शाखा में) हो जाता है तो वह भी इस क्षेत्र में किसी न किसी रूप में आ सकता है।

Read More:

  • How to Find Your Dream Job
  • How to Become a Pilot in India

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