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जानिए आख़िर क्या हैं अफस्पा कानून? – AFSPA Act

AFSPA Act

देश में अक्सर कानून व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की नियुक्ति की जाती है। ताकि आपातकाल या युद्ध की स्थिति में सुरक्षा बल लोगों की रक्षा कर सके। भारत में आमतौर पर सेना की नियुक्ति उन इलाकों में ज्यादा होती है जहां पर आतंकी हमले या नक्सली हमलों का खतरा बना रहता है।

लेकिन कई बार सेना को इनसे निपटने के लिए कुछ आँतरिक समस्याओँ का सामना भी करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में हालात काबू से बाहर हो जाएं और सभी को एक साथ नियंत्रित करना जरुरी हो जाए तो उस स्थिति में सैनिकों को कुछ खास अधिकार दिए जाते है जिन्हें अफल्पा कानून – AFSPA Act कहा जाता है।

हालांकि अफस्पा कानून केवल कुछ चुने हुए राज्यों में ही लागू किए जा सकते है जिन्हें डिस्टर्ब क्षेत्र घोषित किया जा चुका हो। अफस्पा कानून क्या होता है। इसे समझने से पहले ये जानना जरुरी है कि डिस्टर्ब क्षेत्र कौन से होते है?

जानिए आख़िर क्या हैं अफस्पा कानून? – AFSPA Act

Armed Forces Special Powers Act (AFSPA)

डिस्टर्ब क्षेत्र

डिस्टर्ब क्षेत्र उन क्षेत्रों को घोषित किया जाता है जहां पर बाहर से आंतकवादी हमले अधिक होते है या फिर जहां पर धार्मिक, नस्लीय, भाषा, जातियों या समुदायों के बीच अधिक मतभेद देखने को मिलते है। ऐसे क्षेत्रों को राज्य या केंद्र सरकार डिस्टर्ब क्षेत्र घोषित करती है।

मौजूद समय में जम्मू कश्मीर, भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्र, नागालैंड, मेघालय के कुछ क्षेत्र, मणिपुर ( राजधानी इंफाल को छोड़कर ) डिस्टर्ब क्षेत्र के दायरे में है।

अफस्पा एक्ट क्या है – What is AFSPA Act

अफ्सपा यानी Armed Forces Special Powers Act – आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 के तहत लागू किया जाता है ये एक फौजी कानून है जिसके अंतगर्त भारतीय सुरक्षा बलों को डिस्टर्ब क्षेत्रों में कुछ विशेष अधिकार दिए जाते है। ताकि राज्य में व्यवस्था बनाने में आसानी हो। अफ्सपा को केंद्र सरकार और राज्य सरकार किसी भी डिस्टर्ब क्षेत्र में लागू कर सकती है।

एक बार अफस्पा एक्ट लागू होने के बाद उस क्षेत्र में कम से कम 3 महीने तक सुरक्षा बलों को तैनात किया जाता है इस एक्ट को सबसे पहली बार 1 सिंतबर 1958 को भारत के उत्तर पूर्वी राज्य असम, मणिपुर, नागलैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, त्रिपुरा में लागू किया गया था।

इसके बाद इसे पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए भी पंजाब और चंडीगढ में लागू किया गया था। लेकिन साल 1997 में इस कानून को यहां पर खत्म कर दिया गया। आतंक से प्रभावित राज्य जम्मू कश्मीर में भी पहले अफस्पा एक्ट लागू नहीं होता था। लेकिन साल 1990 में जम्मू कश्मीर के हालातों को देखते हुए भारतीय संसद ने अफस्पा किया और तब से जम्मू कश्मीर में अफस्पा लागू है।

अफस्पा से मिलने वाले अधिकार – Rights to AFSPA

अफस्पा कानून के तहत सशस्त्र बल के विशेष अधिकारी को अधिकार है कि चेतावनी देने के बाद भी अगर कोई व्यक्ति कानून का उल्लघँन करता है या उस क्षेत्र में अशांति फैलता है तो वह उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाने तक अपने बल का उपयोग कर सकते है।

सेना के अधिकारी किसी भी आश्रय स्थल को तबाह कर सकते है जहां से हथियार बंद हमले किए जाने की आँशका हो।

अफस्पा एक्ट के अंतगर्त अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे जल्द से जल्द पुलिस स्टेशन में उपस्थित होना होता है और अपनी गिरफ्तारी के कारण को बताना होता है।

इस कानून के तहत सैन्य बल आने जाने वाले किसी भी वाहन की तलाशी कर सकते है जिस पर भी उसे संदेह हो।

अफस्पा एक्ट के तहत सैन्य बलों को किसी व्यक्ति, सम्पति, बम गोला बारुद बरामद करने के लिए किसी के भी घर में बिना वारंट जा कर तलाशी करने का अधिकार है। इसके लिए समय आने पर वह जरुरी बल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

अफस्पा की भी असंदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार करने का अधिकार देता है साथ ही गिरफ्तारी के लिए सैन्य बल किसी भी तरह की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।

अफस्पा कानून से जुड़ी अहम बातें – Important things related to AFSPA law

अफस्पा अधिनियम की धारा 3 के तहत राज्य सरकार की राय होना जरुरी है कि क्या वह क्षेत्र डिस्टर्ब है या नहीं। अगर नहीं तो राज्यपाल या केंद्र सरकार द्वारा इसे खारिज किया जा सकता है।

अफस्पा अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत राज्य के राज्यपाल को बजट की अधिकारिक सूचना जारी करने का अधिकार है जिसके बाद केंद्र सरकार को प्रभावित राज्य की मदद के लिए सैन्य बल भेजने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

अधिनियम 1976 के अनुसार डिस्टर्ब क्षेत्र में कम से कम 3 महीने तक सैन्य बल तैनात रहते हैं।

अगर कोई राज्य या क्षेत्र सुचारु से चलने लगता है तो केंद्र सरकार वहां से अफस्पा एक्ट हटा लेती है साथ ही उसे डिस्टर्ब क्षेत्र से बाहर कर देती है।

हालाकिं पिछले कुछ सालों में इस अधिनियम की काफी अलोचानाएं भी हुई है साल 2012 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से भी भारत को इस एक्ट को खत्म करने के लिए कहा गया था जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने दलील दी थी कि भारतीय लोकतंत्र में अफस्पा का कोई स्थान नहीं है इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।

ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी अलोचना करते हुए कहा था कि इसे लोगों के साथ भेदभाव होता है साथ ही उनका दमन किया जाता है। हालांकि मौजूदा स्थितियों को देखते हुए अफस्पा एक्ट को हटाया नहीं जा सकता। क्योंकि इस एक्ट के कारण ही सेना के पास अपने कार्य को सही ढ़ग से करने की ताकत है। अगर इसे खत्म कर दिया जाता है तो आतंकवादी गतिविधियां बढ़ जाएंगी। जो देश के लिए खतरनाक सिद्ध होगा।

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