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Dalai Lama biography in Hindi – दलाई लामा जीवनी

14 दलाई लामा  – 14 Dalai Lama

पूरा नाम  – ल्हामो धोंडख
जन्म     – 6 जूलाई 1935
जन्मस्थान  – तिब्बत
पिता     – चोक्योंग त्सेरिंग
माता     – डिकी त्सेरिंग
शिक्षा   – 6 साल की उम्र शिक्षा प्रारंभ. *1959 में गेशे ल्हारांपा की डिग्री (बौद्ध दर्शन में डॉक्टरेट) हासील की. *बौद्ध धर्म में इससे आगेकी शिक्षा दिक्षा उन्होंने – ड्रेपुंग, सेरा और गंडेन में पूरी की.

कार्य         –

तिब्बत के 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बतियों के निर्वासित राष्ट्राध्यक्ष  और आध्यात्मिक गुरु हैं | उनका जन्म तिब्बत ते एक छोटेसे गांव ताक्तसर में हुआ था | तिब्बती परंपरा के अनुसार दो साल की आयु में ही उनको अपने पूर्ववर्ती 13वें दलाई लामा के पुर्वतार के रूप में मान्यता दे दी गई थी |

जब 17 नवंबर, 1950 को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लगभग 80 हजार सैनिकों ने धावा बोलकर तिब्बत पर कब्जा कर लिया, तब तिब्बतियों ने चीनी कब्जे का कड़ा प्रतिरोध किया |

दलाई लामा 1954 में चीनी कम्युनिस्ट  पार्टी के चेयरमैन माओ त्से तुंग, चाऊ एन लाई और देंग शियाओ पिग एवं अन्य नेताओं के साथ शांति वार्ता के लिए बीजिंग गए, लिकिन चीन सरकार ने तिब्बत को स्वायत्तता देने से मना कर  दिया | 10 मार्च, 1959 को ल्हासा में तिब्बतियों ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया, जिसमें मांग की गई कि चीन तिब्बत से अपनी सेनाएं हटा ले और दलाई लामा को वहां की सत्ता सौंप दे | लिकिन चीन ने तिब्बतियों के प्रतिरोध को बेरहमी से कुचल दिया | बड़े पैगाम पर तिब्बती नागरिक गिरफ्तार और प्रताड़ित किए गए |

स्वयं दलाई लामा के जीवन को चीनियों से खतरा उत्पन्न हो गया | तब सन 1959  उन्होंने भारत में शरण ली | पिछले तीस वर्षों से वह धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश)  में अपने अनुयायियों के साथ रह रहे हैं | विगत तीन दशकों में चीन ने लगभग पद्रंह लाख तिब्बतियों का नरसंहार किया है | साथ ही उनके हजारों मठों को भी नष्ट कर दिया है | फिर भी दलाई लामा अपने शत्रुओं के प्रति क्षमा भाव रखते हैं |

पिछले कई वर्षों से वह लोगों को शांति और प्रेम का संदेश देते आ रहे हैं | भारत में वह अपने देश की साहित्य, कला एवं चिकिस्ता संबंधी विरासत को जीवित रखना चाहते हैं | उन्होंने सन 1963 में अपना संविधान निर्मित किया |

सन 1984 में उनकी पुस्तक ‘काइंडनेस, क्लेरिटी एंड इनसाइट’ प्रकाशित हुई | सन 1989 में जब उन्हें विश्व-शांति का ‘नोबेल पुरस्कार’ दिया गया, तो चीन भौंचक्का रह गया | उसे शायद यह पता नहीं था कि दलाई लामा को विश्व में कितने आदर के साथ देखा जाता है | दलाई लामा ‘लियोपोल्ड लूकस पुरस्कार’ से भी सम्मानित हो चुके हैं |

विश्व के अनेक देशों में उनका स्वागत तिब्बत के राष्ट्रध्यक्ष के रूप में ही होता है | उनकी निर्वासित सरकार का मुख्यालय हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर (जिसे मिनी ल्हासा के नाम से जाना जाता है) में है, जहां वह 1960 से ही रह रहे हैं |

तिब्बती जनता के धर्मगुरु चौदहवें दलाई लामा अर्थात तेनजिन ग्यात्सो आज मानव प्रेम, शांति, अहिंसा, स्वाभिमान, कर्तव्यनिष्ठा एवं विश्व बंधुत्व के प्रतिक माने जाते हैं | उन्हें करोड़ों भारतीय एवं तिब्बतियों के साथ दुनिया के लगभग सभी देशों के उदारवादी नागरिकों का स्नेह तथा सम्मान प्राप्त है |

जरुर पढ़े :-  दलाई लामा के सर्वश्रेष्ठ अनमोल विचार

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