देश का आम बजट पेश होने में पखवाड़े से भी कम समय बचा है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हालत बेहतर नहीं है। ऐसे में वित्त मंत्री के पिटारे से बजट में रियायतों की उम्मीदें उद्योग जगत ने लगा रखी हैं।
देश के 65 फीसदी फुटवियर मार्केट में और 27 फीसदी निर्यात में हिस्सेदारी कर रहे आगरा के फुटवियर उद्यमियों ने वित्त मंत्री को सुझाव भेजे हैं, जिनमें टैक्स कम करने, ब्याज दरों को घटाने, इंसेटिव देकर उत्पादन बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की जरूरतों के मुताबिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए। पीपीपी मॉडल पर इंडस्ट्री चलाए। इसके अलावा लोन पर ब्याज दरों में कमी की दरकार है।
एफमेक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने कहा कि 15 साल से एमएसएमई (अति लघु, लघु व मध्यम उद्योग) की लिमिट 10 करोड़ है। यह 25 या 30 करोड़ तक होनी चाहिए। लिमिट बढ़ाए बगैर इकाइयां विस्तार और उत्पादन में बढ़ोतरी कैसे कर पाएंगी, भले ही इसके लिए अलग से एमएसएमई प्लस कैटैगरी बना दें।
जूता निर्यातक नजीर अहमद ने कहा कि निर्यातकों को पूंजी कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराएं और उत्पादन आधारित इंसेंटिव दिए जाएं। उद्योग की जैसी हालत है, उसे देखते हुए आयकर स्लैब में भी कमी की जरूरत है।
जूता निर्यातक प्रदीप वासन ने कहा कि जीएसटी रिफंड की व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। अभी भी जीएसटी रिफंड लेट हैं। उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहा है, लेदर फुटवियर में प्रतिस्पर्धा देखते हुए कम ब्याज दरों पर पूंजी मिले, वहीं पर्यावरण संबंधी नियमों को व्यवहारिक किया जाए।
जूता निर्यातक जितेंद्र त्रिलोकानी ने कहा कि उद्योगों को स्किल लेबर चाहिए। इसके लिए हर कर्मचारी को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। बजट में फुटवियर सेक्टर के लिए मेगा लेदर क्लस्टर और लोन पर ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है।
जूता निर्यात में 27 फीसदी भागीदारी है आगरा की
मुगलिया दौर से आगरा में चल रहा जूता कारोबार अब दुनिया भर में यहां के हुनर को फै ला चुका है। देश के घरेलू जूता उत्पादन में आगरा का हिस्सा जहां 65 फीसदी है, वहीं देश से निर्यात होने वाले फुटवियर में आगरा की भागीदारी 27 फीसदी है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आगरा से 5 हजार करोड़ रुपये का लेदर फुटवियर निर्यात हो रहा है और यहां 8 हजार से ज्यादा इकाइयां जूता उत्पादन में लगी हुई हैं। करीब चार लाख कारीगर फुटवियर से जुड़े हैं और 6 लाख लोगों को यह सीधे रोजगार दे रहा है।
देश का आम बजट पेश होने में पखवाड़े से भी कम समय बचा है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हालत बेहतर नहीं है। ऐसे में वित्त मंत्री के पिटारे से बजट में रियायतों की उम्मीदें उद्योग जगत ने लगा रखी हैं।
देश के 65 फीसदी फुटवियर मार्केट में और 27 फीसदी निर्यात में हिस्सेदारी कर रहे आगरा के फुटवियर उद्यमियों ने वित्त मंत्री को सुझाव भेजे हैं, जिनमें टैक्स कम करने, ब्याज दरों को घटाने, इंसेटिव देकर उत्पादन बढ़ाने के उपाय शामिल हैं।
एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने कहा कि मेक इन इंडिया के तहत मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की जरूरतों के मुताबिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाए। पीपीपी मॉडल पर इंडस्ट्री चलाए। इसके अलावा लोन पर ब्याज दरों में कमी की दरकार है।
एमएसएमई का दायरा बढ़ाया जाए
एफमेक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गोपाल गुप्ता ने कहा कि 15 साल से एमएसएमई (अति लघु, लघु व मध्यम उद्योग) की लिमिट 10 करोड़ है। यह 25 या 30 करोड़ तक होनी चाहिए। लिमिट बढ़ाए बगैर इकाइयां विस्तार और उत्पादन में बढ़ोतरी कैसे कर पाएंगी, भले ही इसके लिए अलग से एमएसएमई प्लस कैटैगरी बना दें।
जूता निर्यातक नजीर अहमद ने कहा कि निर्यातकों को पूंजी कम ब्याज दर पर उपलब्ध कराएं और उत्पादन आधारित इंसेंटिव दिए जाएं। उद्योग की जैसी हालत है, उसे देखते हुए आयकर स्लैब में भी कमी की जरूरत है।
जूता निर्यातक प्रदीप वासन ने कहा कि जीएसटी रिफंड की व्यवस्था में बदलाव जरूरी है। अभी भी जीएसटी रिफंड लेट हैं। उद्योग मुश्किल दौर से गुजर रहा है, लेदर फुटवियर में प्रतिस्पर्धा देखते हुए कम ब्याज दरों पर पूंजी मिले, वहीं पर्यावरण संबंधी नियमों को व्यवहारिक किया जाए।
जूता निर्यातक जितेंद्र त्रिलोकानी ने कहा कि उद्योगों को स्किल लेबर चाहिए। इसके लिए हर कर्मचारी को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। बजट में फुटवियर सेक्टर के लिए मेगा लेदर क्लस्टर और लोन पर ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है।
जूता निर्यात में 27 फीसदी भागीदारी है आगरा की
मुगलिया दौर से आगरा में चल रहा जूता कारोबार अब दुनिया भर में यहां के हुनर को फै ला चुका है। देश के घरेलू जूता उत्पादन में आगरा का हिस्सा जहां 65 फीसदी है, वहीं देश से निर्यात होने वाले फुटवियर में आगरा की भागीदारी 27 फीसदी है।
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आगरा से 5 हजार करोड़ रुपये का लेदर फुटवियर निर्यात हो रहा है और यहां 8 हजार से ज्यादा इकाइयां जूता उत्पादन में लगी हुई हैं। करीब चार लाख कारीगर फुटवियर से जुड़े हैं और 6 लाख लोगों को यह सीधे रोजगार दे रहा है।
आगे पढ़ें
एमएसएमई का दायरा बढ़ाया जाए
//comment below when comment have to show on button click
if (window.addEventListener)
window.addEventListener("scroll", deferFbSDK, false);
else if (window.attachEvent)
window.attachEvent("oncroll", deferFbSDK);
else window.onload = deferFbSDK;
Source link