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कौन मनाया जाता हैं गुडी पड़वा, जानिए क्या हैं इसका धार्मिक महत्व | Gudi Padwa Information in Hindi Language

Gudi Padwa Information in Hindi Language गुडी पडवा एक ऐसा त्यौहार हैं जो हिन्दू संस्कृति की शुरुआत से मनाया जा रहा हैं. जिस तरह अंग्रेजी सभ्यता में 1 जनवरी का महत्त्व होता हैं उसी तरह हिन्दू रीति-रिवाजों में गुडी पड़वा का महत्व होता हैं. भारतवर्ष का सर्वमान्य सवंत विक्रम सवंत हैं. जिसका प्रथम महिना चैत्र माह होता हैं. इस माह के प्रथम दिन को गुडीपड़वा मनाया जाता हैं.

Gudi Padwa Information

गुडीपड़वा क्यों मनाया जाता हैं ( Gudi Padwa History in Hindi )

गुडी पड़वा केवल एक ही कारण से नहीं मनाया जाता हैं इस दिन कई घटनाएँ हुई थी जो कि हिन्दू मान्यताओं में काफी अहम योगदान रखती हैं. इसीलिए इस तारीख को मनाने पर कभी एक राय नहीं बनानी. यह हैं इस त्यौहार को मनाने के कुछ कारण

1. ब्रम्हपुराण के अनुसार इसी दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ. इसी कारण इस तिथि को सर्वोतम माना जाता हैं.

चैत्र मासे जगद्ब्रह्म समग्रे प्रथमेऽनि
शुक्ल पक्षे समग्रे तु सदा सूर्योदये सति। -ब्रह्मपुराण

2. हिन्दू पंचांग विक्रम सवंत का आरम्भ गुडी पड़वा से ही होता है. महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर विक्रम सवंत की रचना की थी. उस समय की गयी गड़ना आज के कालखंड की गडना में एक दम सटीक बैठती हैं.

3. गुडी पड़वा को लेकर एक और मान्यता यह है कि इसी दिन भगवान् श्री राम ने दक्षिण के लोगों को बाली के अत्याचारों से मुक्त करवाया था. जिसकी ख़ुशी में लोगों में विजय पताकाएँ फहराई थी.

4. एक और मान्यता भगवान श्रीराम से ही जुडी हुई हैं जिसके अनुसार इस दिन भगवान् श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था.

5. इस दिन उज्जैयिनी की सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित कर विक्रम संवत का प्रवर्तन किया.

6. इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. इसी दिन से रात्रि की अपेक्षा दिन बड़ा होने लगता है.

7. इस दिन युधिष्ठिर ने राज्यारोहण किया था.

8. महर्षि दयानन्द द्वारा आर्य समाज की स्‍थापना का दिवस

9. इसी दिन से माँ दुर्गा का उपासना पर्व नवरात्री की शुरुआत होती हैं.

10. गुडी पड़वा पर ही सिखों के द्वितीय गुरु गुरु अंगद देव जी के जन्म हरीके नामक गांव में, जो कि फिरोजपुर, पंजाब में हुआ था.

11. गुडीपड़वा के दिन सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल का प्रकट दिवस हुआ था.

गुडी पड़वा का अर्थ ( Meaning of Gudi Padwa )

गुडी पड़वा दो शब्दों में मिलकर बना हैं. जिसमे गुडी का अर्थ होता हैं विजय पताका और पड़वा का मतलब होता हैं प्रतिपदा. इस दिन गुडी बनाकर उसे फहराया जाता हैं और उसकी पूजा की जाती हैं. यह प्रथा महाराष्ट्र और उससे जुड़े कुछ राज्यों में मनाई जाती हैं. इसके अलावा घर के दरवाजों पर आम के पत्तों से बना बंदनवार सजाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह बंदनवार घर में सुख, समृद्धि और खुशि‍यां लाता है.

Meaning of Gudi Padwa

कैसे मनाया जाता हैं पर्व (gudi padwa details in hindi )

गुड़ी पड़वा के दिन खास तौर से हिन्दू परिवारों में पूरनपोली नामक मीठा व्यंजन बनाने की परंपरा है, जिसे घी और शक्कर के साथ परोसा जाता है. वहीं कुछ मराठी परिवारों में इस दिन खासतौर पर श्रीखंड बनाया जाता है और अन्य व्यंजनों व पूरी के साथ परोसा जाता है.

आंध्रप्रदेश में इस दिन प्रत्येक घर में पच्चड़ी प्रसाद बनाकर वितरित किया जाता है. गुड़ी पड़वा के दिन नीम की पत्त‍ियां खाने का भी विधान है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर नीम की कोपलें खाकर गुड़ खाया जाता है. इसे कड़वाहट को मिठास में बदलने का प्रतीक माना जाता है.

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