किन्हीं पूर्व कर्मो के फल से है साम्यवादी नाम मिला
चाह बनी मन मंगल की थी लेकिन जंगल धाम मिला
दंग रह गये नक्सलियों का खून गिराने वाले जब
लाल लहू का कतरा कतरा करता लाल सलाम मिला १
पूंछा गया परमप्रिय तो फिर किसी ने आकर राम लिखा
लिखा किसी ने सिक्ख इसाई किसी ने था इस्लाम लिखा
लिखा किसी ने काम चाम तो किसी किसी ने दाम लिखा
माता पिता पुत्र पत्नी तो धरा किसी ने धाम लिखा
सबने लिखा परमप्रिय अपना सुमधुर ललित ललाम लिखा
मेरा जब नम्बर आया तो मैंने लाल सलाम लिखा 2
ये सामंती सोंचो वाले न एक चपत सह पाएंगे
पर्वत जैसे दिखने वाले पत्तों जैसे बह जायेंगे
तब तलक क्रांति के सिवा अनिल
भाषा दूसरी नहीं होगी
रोटी जब तलक तिजोरी से
बाइज्जत बरी नहीं होगी
चाह बनी मन मंगल की थी लेकिन जंगल धाम मिला
दंग रह गये नक्सलियों का खून गिराने वाले जब
लाल लहू का कतरा कतरा करता लाल सलाम मिला १
पूंछा गया परमप्रिय तो फिर किसी ने आकर राम लिखा
लिखा किसी ने सिक्ख इसाई किसी ने था इस्लाम लिखा
लिखा किसी ने काम चाम तो किसी किसी ने दाम लिखा
माता पिता पुत्र पत्नी तो धरा किसी ने धाम लिखा
सबने लिखा परमप्रिय अपना सुमधुर ललित ललाम लिखा
मेरा जब नम्बर आया तो मैंने लाल सलाम लिखा 2
ये सामंती सोंचो वाले न एक चपत सह पाएंगे
पर्वत जैसे दिखने वाले पत्तों जैसे बह जायेंगे
तब तलक क्रांति के सिवा अनिल
भाषा दूसरी नहीं होगी
रोटी जब तलक तिजोरी से
बाइज्जत बरी नहीं होगी
Related Articles
This post first appeared on लोक वेब मीडिया, please read the originial post: here