किसी ग्रह की अनुकूलता प्राप्त करने हेतु उससे संबंधित वस्तुओं का दान, जप तथा व्रत करने का विधान है। किसी ग्रह की शांति कराने या उसकी शुभता प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित वार को व्रत किया जाता है। यदि किसी ग्रह की दशा, महादशा, अंतर्दशा, जन्मांक और गोचराष्टक वर्ग में से कोई अनिष्टकारी- हो तो उस ग्रह की शांति के लिए वार के अनुसार व्रत करने का विधान है। सप्ताह के प्रत्येक वार का काल सूर्योदय से