New Delhi: जननायक कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। 1985 के बिहार विधानसभा के चुनाव के बाद वे नेता प्रतिपक्ष बने थे।
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कांग्रेस की सरकार शासन में थी। 1987 में लोकदल की गुटबाजी को हवा देकर तत्कालीन विधाससभा अध्यक्ष शिवचंद्र झा ने कर्पूरी ठाकुर को नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया था।
कर्पूरी ठाकुर कांग्रेस के अन्यायपूर्ण फैसले के खिलाफ लड़ रहे थे। इसी बीच 17 फरवरी 1988 को कर्पूरी ठाकुर की मौत हो गयी। उनकी मौत को कई लोगों ने संदेह जाहिर किया था। इस मामले में रघुवंश प्रसाद सिंह का लिखा एक पत्र बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे पहले उन्होंने ने ही कर्पूरी ठाकुर की मौत की जांच की मांग की थी।
रघुवंश प्रसाद सिंह उस समय लोकदल के विधायक थे। उन्होंने 22 फरवरी 1988 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पत्र लिख कर्पूरी ठाकुर की मौत की जांच कराने की मांग की थी। उन्होंने पत्र में लिखा था – “हम कर्पूरी ठाकुर के असामयिक निधन से बहुत दुखी हैं। आप भी दुखी होंगे। उनके निधन पर बिहार के समचार पत्रों में जो खबरें छपी हैं उससे कई तरह की शंकाएं उभर रही हैं। बिहार के लोग उनकी मौत को हत्या की साजिश मानने लगे हैं। ऐसी स्थिति में सरकार इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराए।“
“कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद उनके योग चिकित्सक अतुलानंद लापता हैं। राज्य सरकार ने अतुलानंद को खोजने के लिए कोई कोशिश नहीं की। आखिर क्यों ?“
“गौर करने की बात ये है कि भारत सरकार ने दो साल पहले इस बात का अध्ययन कराया था कि कर्पूरी ठाकुर के नहीं रहने पर बिहार की राजनीतिक स्थिति क्या होगी ? कर्पूरी ठाकुर के साथ जो जनाधार जुड़ा है, वह बाद में किधर जाएगा ? यह समाजशास्त्रीय अध्ययन भी अब शंका के दायरे में आ गया है।“
“कर्पूरी ठाकुर को बहुमत के बाद भी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटा दिया गया था। वे छह महीने से अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे थे। इस विवाद पर पटना हाईकोर्ट मार्च 1988 में फैसला देने वाला था लेकिन उसके पहले ही अचानक उनकी मौत हो गयी।“ “इन तमाम शंकाओं के निवारण के लिए एक ही रास्ता है कि इसकी उच्चस्तरीय जांच करायी जाए।“
1988 में कई लोगों ने कर्पूरी ठाकुर के योग चिकित्सक अतुलानंद की गतिविधि को संदिग्ध माना था। कर्पूरी ठाकुर को ब्लड प्रेशर और दिल से संबंधित परेशानी थी। अतुलानंद उनका सांख्य योगक्रिया के जरिये इलाज कर रहे थे। कहा जाता है कि इसी इलाज के दौरान अतुलानंद ने उन्हें सेंधा नमक मिला 13 लीटर पानी पिला दिया था। 16 फरवरी को उनकी तबियत खराब हुई और 17 फरवरी को उनका निधन हो गया।
कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद अतुलानंद फरार हो गया जिसकी वजह से उस पर संदेह किया जाने लगा। अतुलानंद सहरसा का रहने वाला था। अतुलानंद कहां गया ? इसकी जानकारी किसी किसी को नहीं है। इस घटना के गुजरे 29 साल हो गये लेकिन बिहार की किसी सरकार ने अतुलानंद को खोजने की कोशिश नहीं की। कर्पूरी ठाकुर की विरासत का दावा तो लालू यादव भी करते हैं और नीतीश कुमार भी, लेकिन इस दिशा में किसी ने पहल नहीं की।
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