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सबसे पवित्र नदी “गंगा” मैया का इतिहास | Ganga River History

Ganga – दी गंगेस उर्फ़ गंगा जो भारत के अलावा बांग्लादेश से होकर भी गुजरने वाली एशिया की एक बाध्यकारी नदी है । 2,525 किलोमीटर लंबी यह नदी भारतीय राज्य उत्तराखंड के पश्चिमी हिमालय से शुरू होती है और दक्षिण से बहती हुई, उत्तर भारत से होकर बांग्लादेश में जाकर यह नदी अंत में बंगाल में खाड़ी में जाकर मिलती है। यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नदी है।

सबसे पवित्र नदी “गंगा” मैया का इतिहास – Ganga River History

हिन्दू शास्त्र में गंगा को सबसे पवित्र नदी का दर्जा दिया गया है। साथ ही बहुत से भारतीय लोग इस नदी को जीवन रेखा भी मानते है, जो उनकी दैनिक जरूरतों को दूर करती है।

भारत में गंगा की पूजा देवी गंगा के रूप में की जाती है। ऐतिहासिक रूप से भी इस नदी का काफी महत्त्व है, क्योकि बहुत से राज्यों की राजधानी इसके तट पर बनी हुई है, जैसे की करा, कन्नौज, अलाहाबाद, कपिल्या, काशी, प्रयाग, हाजीपुर, पाटलिपुत्र, पटना, मुर्शिदाबाद, मुंगेर, बहरामपुर, भागलपुर, सप्तग्राम, नाबद्विप, ढाका और कोलकाता इत्यादि।

2007 में गंगा को सबसे प्रदूषित नदी की श्रेणी में पाँचवा स्थान दिया गया था। प्रदुषण की वजह से केवल मनुष्यों ही नहीं बल्कि 140 मछलियों की प्रजातियों और 90 उभयचरो की प्रजातियों को क्षति पहुचती है।

मनुष्यों द्वारा गंगा में फेके गये कचरे से इसमें पाए जाने वाले फेकल कॉलिफोर्म की मात्रा भारत सरकार की अधिकारिक उच्चतम मात्रा से 100 गुना ज्यादा है।

गंगा के महत्त्व को देखते हुए दी गंगा एक्शन प्लान का निर्माण भी किया गया, जिससे इस नदी को साफ रखा जा सके और इसकी सफाई की जा सके। लेकिन भ्रष्टाचारी और कामचोर लोगो की वजह से यह योजना भी असफल रही और दिन-दिन नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ता चला जा रहा है।

इतिहास – History:

दूसरी सहस्त्राब्दी BC में हड़प्पा सभ्यता को ही भारतीय सभ्यता का दर्जा दिया गया था क्योकि उसी समय वे इंडस नदी के तट से गंगा नदी के तट पर स्थानांतरित होने लगे थे।

गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है। ऋग्वेद के प्रारंभिक वैदिक काल में इंडस और सरस्वती नदी ही मुख्य पवित्र नदियाँ हुआ करती थी, जबकि गंगा नदी को उस समय ज्यादा महत्त्व नही दिया गया था। लेकिन इसके बाद के तीनो वेदों में गंगा को सर्वाधिक महत्त्व दिया गया है और सबसे पवित्र नदी भी माना गया है। मौर्य साम्राज्य से लेकर मुग़ल साम्राज्य तक गंगा नदी का मैदान ही राज्य की सबसे शक्तिशाली जगहों में से एक बन चूका था।

इसके बाद 1951 में जब भारत ने फरक्का बैरेज बनाने की घोषणा की तब भारत और पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के बीच इसके जल साझाकरण का विवाद खड़ा हुआ।1975 में पुरे हुए वास्तविक बैरेज को इसके बाद 1,100 m3/s पानी में मोड़ दिया गया, इस पानी को गंगा से भागीरथी में मोड़ा गया, जो कोलकाता में जाकर मिलती थी।

ऐसा माना गया था की सबसे ख़राब सूखे मौसम में भी गंगा में पानी का बहाव तक़रीबन 1400 से 1600 m3/s रहता है और इसीलिए उस विवाद में 280 से 420 m3/s पूर्वी पाकिस्तान के लिए छोड़ दिया गया। इसके बाद 1996 में बांग्लादेश के साथ 30 साल की एक संधि पर हस्ताक्षर किये गये।

इस समझौते के नियम थोड़े कठिन जरुर थे लेकिन इसमें इतना तो साफ-साफ़ लिखा हुआ था की गंगा में यदि पानी का बहाव फरक्का में 2000 m3/s से कम रहा तो भारत और बांग्लादेश दोनों को 50% पानी मिलेगा, जिसमे हर देश 10 दिन के समय अंतराल में कम से कम 1000 m3/s पानी ले सकता है। लेकिन इस संधि के बाद भी पानी का बटवारा लगभग असंभव सा लग रहा था। इसके बाद मार्च 1997 में बांग्लादेश में गंगा नदी में पानी का बहाव सबसे निचले स्तर पर जाकर 180 m3/s हो गया। लेकिन इस बैरेज के चलते बांग्लादेश को पानी का उपयोग करने में काफी आसानी हो गयी थी।

कुम्भ मेला – Kumbh Mela:

कुम्भ मेला एक विशाल हिन्दू तीर्थयात्रा है, जिसमे सभी हिन्दू गंगा नदी के तट पर एकत्रित होते है। साधारण कुम्भ मेला हर 3 साल में एक बार आता है, अर्ध कुम्भ मेला हर छः साल में एक बार प्रयाग और हरिद्वार में मनाया जाता है और पूर्ण कुम्भ मेला हर 12 साल में एक बार चार जगहों (उज्जैन, नाशिक, और प्रयाग (अलाहाबाद), हरिद्वार,) पर मनाया जाता है। महा कुम्भ मेला जो 12 या 144 साल में एक बार आता है, उसे अलाहाबाद में आयोजित किया जाता है।

गंगा नदी के तट पर बहुत से उत्सव और त्योहारों का आयोजन किया जाता है। जिसमे मुख्य रूप से धार्मिक गीतों के गायन से लेकर बहुत से औषधीय कैंप भी शामिल है। सभी तीर्थयात्राओ में कुम्भ मेले की तीर्थ यात्रा सबसे पवित्र मानी जाती है। देश के लाखो, करोडो लोग इस मेले का आनंद लेने आते है।

इस मेले में देश के कोने-कोने से सभी साधू भगवे वस्त्र धारण कर आते है और साथ ही नागा सन्यासी भी इस मेले में आते है। कहा जाता है की नागा साधू अपने शरीर पर किसी प्रकार का कोई भी वस्त्र धारण नही करते।

गंगा नदी हमारे देश की सबसे प्रवित्र नदी है। भारत में गंगा नदी को लोग गंगा माँ या गंगा मैया के नाम से भी जानते है। हमारे भारत देश में गंगा के प्रति लोगो के मन में बहुत श्रद्धा है, यहाँ के लोग गंगा को पूजते है।

भारत के लोग गंगा के जल को घर में जमा करके रखते है और पवित्र कार्यो में उसका उपयोग भी करते है। गंगा का जल इतना पवित्र होता है की इसे सालो तक रखने के बाद भी यह ख़राब नही होता।

हिन्दू मान्यताओ के अनुसार गंगा को स्वर्ग की नदी भी कहा गया है। लोगो का ऐसा मानना है की गंगा में स्नान करने से उनके सारे पाप धुल जाते है।

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