मीराबाई – Meera Bai In Hindi
पूरा नाम – मीराबाई
जन्मस्थान – मेरता (राजस्थान)
पिता – रतनसिंह
माता – विरकुमारी
विवाह – महाराणा कुमार भोजराज जी के साथ
कृष्णभक्त और श्रद्धा से भरे रचना के लिए आज भी मीराबाई / Meera Bai का नाम आदर से लिया जाता है। मीराबाई बहुत बड़ी कृष्ण भक्त संत कवी थी। मीराबाई ने खुद की जीवन में बहुत दुख सहा था। राजघराने में जन्म और विवाह होकर भी मीराबाई को बहुत-बहुत दुख झेलना पड़ा। इस वजह से उनमे विरक्तवृत्ती बढ़ती गयी और वो कृष्णभक्ति के तरफ खिची चली गयी। उनका कृष्णप्रेम बहुत तीव्र होता गया। मीराबाई पर अनेक भक्ति संप्रदाय का प्रभाव था। इसका चित्रण उनकी रचनाओं में दिखता है। ‘पदावली’ ये मीराबाई की एकमात्र, प्रमाणभूत काव्यकृती है। ‘पायो जी मैंने रामरतन धन पायो’ ये मीराबाई की प्रसिद्ध रचना है, ‘मीरा के प्रभु गिरिधर नागर’ ऐसा वो खुदका उल्लेख करती है।
मीराबाई के भाषाशैली में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मिश्रण है। पंजाबी, खड़ीबोली, पुरबी इन भाषा का भी मिश्रण दिखता है। मीराबाई के रचनाये बहोत भावपूर्ण है। उनके दुखों का प्रतिबिंब कुछ पदों में भरके दीखता है। गुरु का गौरव, भगवान की तारीफ, आत्मसर्मपण ऐसे विषय भी पदों में है। पुरे भारत में मीराबाई और उनके पद ज्ञात है। मराठी में भी उनके पदों का अनुवाद हुवा है। उनके जन्म काल के बारे में ठिक से जानकारी नहीं है फिर भी मध्यकालीन में हुयी भारत में की श्रेष्ठ संत कवियित्री आज भी आदर के पात्र है।
मीराबाई की ग्रंथ सम्पति – Books On Meera Bai
संत मीराबाई ने चार ग्रंथों की रचना की :-
1) नरसी का मायरा
2) गीत गोविंद टीका
3) राग गोविंद
4) राग सोरठ के पद
इसके अलावा मीराबाई के गीतों का संकलन “मीरांबाई की पदावली’ नामक ग्रन्थ में किया गया है।
जरुर पढ़े :- संत कबीर दास के दोहे
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