पूरा नाम – ईश्वर चंद्र विद्यासागर
जन्म – सितंबर 26, 1820
जन्मस्थान – बंगाल प्रेसीडेंसी
पिता – ठाकुरदास बंदोपाध्याय
माता – भगवती देवी
Ishwar Chandra Vidyasagar
राजा राममोहन रॉय इनके बाद भारत के अनेक हिस्से के नवनिर्वाचित ज्योत प्रज्वलित करने वाले जो सुधारक थे. उनमे ईश्वर चन्द्र विद्यासागर / Ishwar Chandra Vidyasagar इन्होंने किया हुवा कार्य अनमोल है. उनके कोशिशो की वजह से सरकार विधवाविवाह कानून किया, इतना नहीं तो बालविवाह को प्रतिबंधित करने वाला ‘सिव्हिल मॅरेज अॅक्ट’ ये कानून लागु होने के लिये ईश्वरचंद की कोशीश फायदेमंद रही.
धर्मशास्त्र की पढाई करके भारतीय समाज में हजारो सालोसे चली आ रही रूढी, भ्रामक समझ, धर्म के प्रति अज्ञानता इन जैसे दुर्गुणों पर उन्होंने प्रखरता से आलोचना की. विधवा विवाह को हिंदू धर्मशास्त्र में कोई निषेध नहीं है,ये उन्होंने कहा.
बंगाली भाषा में उन्होंने सामाजिक सुधारणा के संदर्भ में अच्छा लेखन किया. भारतीय समाज में बदलाव लाना होंगा तो ब्रिटिश सरकार ने समाज के हित के लिये सुधारणा को पोषक कानून कराने चाहिये. ऐसा ईश्वर चन्द्र विद्यासागर की राय थी.
ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने स्त्री शिक्षण आंदोलन को प्राधान्य दिया. उस समय ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के सोच के इतना प्रभाव गिरा की 1857 – 58 इस एक साल में उनके प्रेरणा से लड़कियों के लिये कम से कम 35 स्कुल शुरू हुये थे.
ईश्वरचंद विद्यासागर इनकी सुधारकी कोशिशो की कीर्ति तभी के सुधारको में तेजीसे फ़ैल गयी. उन्हीके प्रेरणा से बम्बई में परमहंस सभासदों की संस्था स्थापन हुयी. भारतीय सुशिक्षितो ने स्थापन किये हुये ऐसी संस्थायें ‘मिशनरी’ स्वरूप का कार्य हाथ में लेने वाली संस्था हुयी.
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