Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

बुध गृह है या उपग्रह? पुराणिक विज्ञान भी इसका स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाया

पुराण बिना दिनांक का पृथ्वी, सौर्यमंडल के विकास का विज्ञानिक और आरंभिक इतिहास भी है | इसके अतिरिक्त पुराण अनेक जानकारी भूविज्ञान से सम्बंधित भी देते हैं | किसी भी खनिज/रसायन, धातु/गैस में कब किसको ‘सुर’ मानना है, किसको ‘असुर’ इस विषय में विस्तृत ज्ञान भी देते हैं !
कुल मिला कर पुराण सम्पूर्ण ज्ञान है, विज्ञान है, और पुराणिक इतिहास है , जो गृह , उपग्रह और तारो , तथा ब्रह्मांड के विषय में भी ज्ञान प्रदान करते हैं | समय, काल दिन, वर्ष, युगों को भी परिभाषित करते हैं ! अवतरित ईश्वर का इतिहास महाग्रंथो के रूप में प्रस्तुत करते हैं !

यहाँ पुराण की सूचना के अनुसार , एक प्रयास रहेगा, इस जिज्ञासा का उत्तर देना का कि बुद्ध गृह है या उपग्रह ?

पहले यह समझ लीजिये कि पुराणिक इतिहास इतना सटीक है कि किसी भी विषय पर पूर्ण जानकारी तथा संतोषजनक जानकारी आपको मिल जायेगी | हाँ चुकी समस्त पुराण कोडेड भाषा में लिखे हैं, तो अर्थ समझने का प्रयास करना होगा , और जितनी हमारी क्षमता है, उतना ही हम इन ग्रंथो से ले सकते हैं, अधिक नहीं |

बुध गृह के बारे में संषेप में जानकारी के लिए आप विकीपीडिया के पेज पर जा सकते हैं, जिसका लिंक दे रहा हूँ | बुध (ग्रह)

अब पोस्ट से सम्बंधित प्रश्न पर आते हैं; बुध गृह है, या उपग्रह ?

पुराणिक विज्ञान इसका अपनी ही भाषा में उत्तर दे रहा है, और यह भी स्पष्ट कर रहा है कि  ‘गृह है या उपग्रह’ , इसमें और अधिक स्पष्ट संभव नहीं है | पुराणिक विज्ञान एक कहानी के रूप में इस विज्ञानिक  प्रश्न का उत्तर दे रहा है ; तथा ध्यान रहे, चन्द्रमा उपगृह है, और ब्रहस्पति गृह है |

अब आप इस पुराणिक कथा को पढीये, जिसकी लिंक दे रहा हूँ :
बुध का जन्म कैसे हुआ, पढ़ें पौराणिक कथा
चंद्रमा के गुरु थे देवगुरु बृहस्पति। बृहस्पति की पत्नी तारा चंद्रमा की सुंंदरता पर मोहित होकर उनसे प्रेम करने लगी। तदोपरांत वह चंद्रमा के संग सहवास भी कर गई एवं बृहस्पति को छोड़ ही दिया। बृहस्पति के वापस बुलाने पर उसने वापस आने से मना कर दिया, जिससे बृहस्पति क्रोधित हो उठे तब बृहस्पति एवं उनके शिष्य चंद्र के बीच युद्ध आरंभ हो गया। 
इस युद्ध में दैत्य गुरु शुक्राचार्य चंद्रमा की ओर हो गए और अन्य देवता बृहस्पति के साथ हो लिए।अब युद्ध बड़े स्तर पर होने लगा। क्योंकि यह युद्ध तारा की कामना से हुआ था, अतः यह तारकाम्यम कहलाया। 
इस विशाल युद्ध से सृष्टिकर्त्ता ब्रह्मा को भय हुआ कि यह कहीं पूरी सृष्टि को ही लील न जाए, तो वे बीच बचाव कर इस युद्ध को रुकवाने का प्रयोजन करने लगे।उन्होंने तारा को समझा-बुझा कर चंद्र से वापस लिया और बृहस्पति को सौंपा। इस बीच तारा के एक सुंदर पुत्र जन्मा जो बुध कहलाया। 
चंद्र और बृहस्पति दोनों ही इसे अपना बताने लगे और स्वयं को इसका पिता बताने लगे यद्यपि तारा चुप ही रही। माता की चुप्पी से अशांत व क्रोधित होकर स्वयं बुध ने माता से सत्य बताने को कहा। 
तब तारा ने बुध का पिता चंद्र को बताया। इस प्रकार बुध के पिता चन्द्रमा और मां तारा हैं। इनकी बुद्धि बड़ी गम्भीर थी इसलिए ब्रह्माजी ने इनका नाम बुध रखा।
अब चुकी पिता तो ब्रहस्पति ही कहलाएंगे, क्यूंकि तारा उनकी पत्नी है, इसलिए इससे अधिक भ्रम दूर नहीं हो सकता | 

बुद्ध को विश्व आज भी गृह मानता है |
यह भी पढ़ें:
सौर्यमंडल की उत्पत्ति के बाद तथा दक्ष के समय तक पृथ्वी की विकास यात्रा
पुराणों के अनुसार स्वाभाविक विकास या उत्क्रांति का सिद्धांत


This post first appeared on AGNI PARIKSHA OF SITA, please read the originial post: here

Share the post

बुध गृह है या उपग्रह? पुराणिक विज्ञान भी इसका स्पष्ट निर्णय नहीं ले पाया

×

Subscribe to Agni Pariksha Of Sita

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×