Narmadeshwar shivling
Narmadeshwar shivling आप सब से बहुत से शिवलिग के बारे में सुनना होगा और आप जानते ही है| शिवलिंग Narmadeshwar Shivling भगवान शिव का रूप माना जाता है और उस की पूजा भी होती है| ऐसे ही शिवलिंग बहुत प्रकार की होती है और हर किसी का अपना रहस्य है| आइये जानते है की नर्मदेश्वर शिवलिंग का क्या सच है| नर्मदेश्वर शिवलिंग इस धरती पर केवल नर्मदा नदी में ही पाए जाते हैं। इस शिवलिंग का नाम में भी आपको नदी का ज्ञात होता है| इस शिवलिग का नाम नर्मदा नदीसे पढ़ा था|
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शास्त्रो के अनुसार घर में शिवलिंग रखते समय किन बातो का ध्यान रखना चाहिए
Narmadeshwar shivling story
यह स्वयंभू शिवलिंग हैं। इसमें निर्गुण, निराकार ब्रह्म भगवान शिव स्वयं प्रतिष्ठित हैं। नर्मदेश्वर लिंग शालग्रामशिला की तरह बहुत ही फयदे मंद माना जाता है| इस शिवलिंग से प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं रहती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को वाणलिंग भी कहा जाता है क्योंकि बाणासुर ने तपस्या करके महादेवजी को प्रसन किया था और उन से वर पाया था| कि वे अमरकंटक पर्वत पर सदा लिंगरूप में प्रकट रहें। यहाँ से इस पर्वत से नर्मदा नदी निकलती है जिसके साथ पर्वत से पत्थर बहकर आते हैं| इसलिए वे पत्थर शिवस्वरूप माने जाते हैं और उन्हें बाणलिंग व नर्मदेश्वर भी कहा जाता है|
नर्मदेश्वर शिवलिंग की महिमा Narmadeshwar shivling importance
जानिए शिवलिंग के चमत्कारी गुण हवा में झूलता था इस रहस्यमयी मंदिर में शिवलिंग
वैसे तो भगवान शिव हर किसी को अच्चा फल देते है लेकिन सहस्त्रों धातुलिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे अधिक मिठा फल narmadeshwar shivling के पूजन करने से होता है। हजारों मिट्टी के लिंगों के पूजन का जो फल होता है उससे सौ गुना अधिक फल बाणलिंग (नर्मदेश्वर) के पूजन से होता है। लोगों को परिवार के कल्याण के लिए, लक्ष्मी व ज्ञान और धनवान बानने के लिए या अपने दुखों का निवारण करने के लिए प्राप्ति व रोगों के नाश के लिए नर्मदेश्वर शिवलिंग की प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए।
घर में नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित करते समय रखें इन बातों का ध्यान
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सच्चे मन से देवाधिदेव महादेव का ध्यान और प्रार्थना करके नर्मदा नदी में गोता लगाने पर हाथ में जो शिवलिंग आता है, उसी को घर पर प्रतिष्ठित कर सकते हैं, और वही आपका भाग्य बदल सकता है। परन्तु नदी से वाणलिंग निकालकर या बाजार से खरीदते समय पहले परीक्षा करके ही शिवलिंग को घर पर स्थापित करें–खुरदरा, अत्यन्त पतला, अत्यन्त मोटा, चपटा, छेददार, तिकोना लिंग गृहस्थों के लिए वर्जित है।
शिवलिंग के लाभ Narmadeshwar shivling benefits
भगवान को जो पूजता है उसका आशीर्वाद जिन्हें मिलता है| उसको लाभ अवस्य मिलता है नर्मदेश्वर शिवलिंग के पूजन करने से भगवान प्रसन हो कर मन चाहा वरदान देते है| और इस से आक शांति की प्राप्ति होती है और आपका मन सकारात्मक विचारों से भर जाता है। नर्मदेश्वर शिवलिंग के शुभ प्रभाव से आपके संबंधों में शांति और प्रेम बना रहता है। नर्मदेश्वर शिवलिंग के पूजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है| ऊर्जा से तनाव, अहंकार में कमी आती है।
कैसे करें नर्मदेश्वर शिवलिंग की नित्य पूजा Narmadeshwar shivling online
शिवलिंग को घर के मन्दिर में उत्तर की ओर मुख करके स्थापित करें। ऐसा करने से घर में जो भी नेगातिविटी है वो दूर होगी और शिवपूजा में पवित्रता का अत्यन्त महत्त्व है| ध्यान रहे स्नान करके रुद्राक्ष व भस्म लगाकर शिवपूजा करने से उमामहेश्वर की प्रसन्नता प्राप्त होती है। शास्त्रों में लिखा है कि जिस इष्टदेवता की उपासना करनी हो उस देवता के स्वरूप में स्थित होना चाहिए। ऐसा करने से घर का वातावर्ण शुभ होता है और कलेश और बीमारियों से छुटकारा मिलता है|
Narmadeshwar shivling pooja पूजा विधि
ध्यान दे यह नियम बहुत महत्वपूर्ण है| अगर आपने ऐसा नही किया तो आपको कोई फयदा नही होगा इस लिए इससे ध्यान से पढ़े और ऐसा ही करे| जब भी आप पूजन करे तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके, आसन पर बैठकर शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग को एक बड़े कटोरे या थाली में रखकर प्रतिदिन हर रोज ‘नम: शिवाय’ जप करते हुए जल, कच्चा दूध या गंगाजल से स्नान कराएं। क्यों की शिव जी को दूध या गंगाजल से सनन करवाया जाता है| नर्मदेश्वर शिवलिंग को विशेष दिनों में श्रावणमास, सोमवार, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि, पुष्य नक्षत्र या त्योहारों पर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। फिर चंदन, अक्षत, इत्र, सुगन्धित फूल या श्वेत फूल चढ़ाएं। शिवपूजा में बेलपत्र सबसे महत्वपूर्ण हैं।
कैसें करें पूजन व् मंत्र Original Narmadeshwar shivling
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जब भी आप इस की पूजा करे गे तो आपको पुरे निति विचार से यह बातो को ध्यान रखते हुए करना है| यद् रहे कोई भी गलती न हो और सामग्री का पूरा ध्यान रहे| अब इन सब के बाद बात आती है की मंत्र कौन सा उचारण करना है| नर्मदेश्वर शिवलिंग की स्थापना से पूर्व कुछ समय ध्यान करें। भगवान शिव की आराधना करें और उनसे अपने ऊपर कृपा बरसाने की प्रार्थना करें। तो आपको बता दे त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्म पापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्।। को सुबह व् श्याम उचारण करना है| ऐसा करने से आपको डबल फायदा मिलेगा| आपको बता दें कि कोई भी नर्मदेश्वर शिवलिंग तब तक व्यर्थ है| जब तक कि इसे अभिमंत्रित कर के स्थापित न किया जाए।
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क्या आपको भी पता है शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से मिलता है क्या फल
नर्मदेश्वर शिवलिंग इस धरती पर केवल नर्मदा नदी में ही पाए जाते हैं। यह स्वयंभू शिवलिंग हैं। इसमें निर्गुण, निराकार ब्रह्म भगवान शिव स्वयं प्रतिष्ठित हैं। नर्मदेश्वर लिंग शालग्रामशिला की तरह स्वप्रतिष्ठित माने जाते हैं, इनमें प्राण-प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं रहती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग को वाणलिंग इसलिए कहते है| क्योंकि बाणासुर ने तपस्या करके महादेवजी से वर पाया था कि वे अमरकंटक पर्वत पर सदा लिंगरूप में प्रकट रहें। इसी पर्वत से नर्मदा नदी निकलती है जिसके साथ पर्वत से पत्थर बहकर आते हैं| इसलिए वे पत्थर शिवस्वरूप माने जाते हैं और उन्हें ‘बाणलिंग’ व ‘नर्मदेश्वर’ कहते हैं।
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