देशभक्त महाराजा क्षत्रसाल बुंदेला जयन्ती
महाराजा छत्रसाल का जन्म 04 मई 1649 ईस्वी को बुंदेला राज्य की आधारशिला रखने वाले महाराजा चंपतराय के यहाँ हुआ ।
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काशी के गहरवार राजा वीरभद्र के पुत्र हेमकरण जिनका दूसरा नाम पंचम सिंह गहरवार भी था,वो विंध्यवासिनी देवी के अनन्य भक्त थे,जिस कारण उन्हें विन्ध्य्वाला भी कहा जाता था,इस कारण राजा हेमकरण के वंशज विन्ध्य्वाला या बुंदेला कहलाए।
महाराजा छत्रसाल कम आयु में ही अनाथ हो गए थे। वीर बालक छत्रसाल ने छत्रपति शिवाजी से प्रभावित होकर अपनी छोटी सी सेना बनाई और मुगल बादशाह औरंगजेब से जमकर लोहा लिया और मुग़लो के सबसे ताकतवर काल में उनकी नाक के नीचे एक बड़े भूभाग को जीतकर एक विशाल स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
बुंदेलखंड केशरी के नाम से विख्यात महाराजा छत्रसाल के बारे में ये पंक्तियां बहुत प्रभावशाली है:
- इत यमुना, उत नर्मदा, इत चंबल, उत टोंस।
- छत्रसाल सों लरन की, रही न काहू हौंस॥
महाराजा छत्रसाल जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
जय राजपूताना , अखंड राजपुताना
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