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महावीर जयन्ती का महत्त्व व इतिहास | Mahavir Jayanti Jain Festival

Mahavir Jayanti Details in Hindi : महावीर जयंती ना सिर्फ जैन धर्म के अनुयायियों के लिए बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए एक पावन दिन है। यह पूरे देश भर में मनाया जाता है। यह जैन समाज का सबसे प्रमुख पर्व है। महावीर जयंती को महावीर जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है। महावीर जयंती के दिन जैन मंदिरों में भगवान्म महावीर की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है। भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की 13वीं तिथि को हुआ था। इसलिये इस दिन को जैन समाज के लोग महावीर जयंती के रूप में मनाते हैं। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। 

भगवान् महावीर का परिचय | Who was Lord Mahavir :

भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। उनका जन्म इक्ष्वाकु वंश में वैशाली के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के यहाँ हुआ था।  अपने पिता के बाद उन्होंने 30 वर्ष की आयु तक शासन किया। उनका विवाह कलिंग के राजा की बेटी यशोदा के साथ हुआ था। जब सांसारिकता से उनका मोहभंग हुआ तो ज्ञान की तलाश में उन्होंने 30 वर्ष की आयु में घर छोड़ दिया। अनवरत यात्रा करते हुए उन्हें साढ़े बारह वर्षों के बाद वैशाख शुक्ल दशमी को ऋजुबालुका नदी के किनारे ‘साल वृक्ष’ के नीचे  ‘कैवल्य ज्ञान’ की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात् वे सन्यासी के रूप में निरंतर परिभ्रमण करते हुए लोगों को सत्य, अहिंसा, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह की शिक्षा देते रहे। ज्ञान प्राप्ति के बाद 30 वर्षों तक देश-भर में घूम-घूम कर उन्होंने उपदेश दिये। 72 वर्ष की आयु में उन्हें कार्तिक मास की अमावस्‍या को दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त हुआ।

निर्वाण के बाद उनके पार्थिव शरीर का क्रियाकर्म बिहार के नालंदा जिले की पावापुरी में किया गया।  यहाँ एक विशाल जैन मन्दिर है, जिसे जलमंदिर के नाम से जाना जाता है। देश भर से जैन धर्मावलम्बी यहाँ दर्शन करने आते हैं।

महावीर जयंती का पर्व | Mahavir Jayanti Celebration :

महावीर जयंती दुनिया भर में फैले जैन समुदाय के धर्मावलम्बियों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण पर्व है। इस दिन जैन मंदिरों में भगवान् महावीर की प्रतिमाओं का अभिषेक किया जाता है। इसके बाद प्रतिमा को रथ में विराजमान कर रथ यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में जैन धर्म के अनुयायी बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं। श्रद्धालु भगवान् महावीर के भक्तिमय गीत व भजन आदि गाते हैं।  यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है, इस दिन जैन धर्मावलम्बी धर्मार्थ कार्यों में भाग लेकर अपनी सेवाएं देते हैं। सभी मिलकर मंदिरों में भगवान् महावीर के दर्शन करते हैं तथा प्रार्थना सभाएं आयोजित करते हैं।

सभी जैन मतानुयायी भगवान् महावीर की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेते हैं। महावीर विश्व के कुछ उन विचारकों में से हैं जिनकी शिक्षाओं का असर पूरी दुनिया पर रहा है। भारत के ही नहीं वरन् विश्वभर के दार्शनिक उनसे प्रेरणा प्राप्त की है तथा उनके सिद्धांतों की मुख्य बातों का अपने विचारों में समावेश किया है। महात्मा गाँधी, कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि महापुरुष भगवान् महावीर के विचारों से प्रभावित थे। महान लेखक टॉल्स्टोय  ने स्वीकार किया था कि उनके व्यक्तित्व पर जिन भारतीय मनीषियों का अमिट प्रभाव पड़ा है, महावीर उनमें प्रमुख है। जैन धर्म की व्यापकता और उसके दर्शन का पूरा श्रेय महावीर को दिया जाता है। भगवान् महावीर के विचार सदा ही मानवता को प्रेरणा देते रहेंगे।

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