छाया-वेधः किसी वृक्ष, मंदिर, ध्वजा, पहाड़ी आदि की छाया प्रातः 10 से सायं 3 बजे के मध्य मकान पर पड़ने को छाया वेध कहते हैं। यह निम्न 5 तरह की हो सकती है।
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मंदिर छाया वेधः भवन पर पड़ रही मंदिर की छाया शांति की प्रतिरोधक व व्यापार व विकास पर प्रतिकूल प्रभाव रखती है। बच्चों के विवाह में देर व वंशवृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
ध्वज छाया वेधः ध्वज, स्तूप, समाधि या खम्भे की छाया के कारण रहवासियों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
वृक्ष छायावेधः भवन पर पड़ने वाली वृक्ष की छाया रहवासियों के विकास में बाधक बनती है।
पर्वत छायावेधः मकान के पूर्व में पड़ने वाली पर्वत की छाया रहवासियों के जीवन में प्रतिकूलता के साथ शोहरत में भी नुकसानदायक होती है।
भवन कूप छायावेधः मकान के कुएँ या बोरिंग पर पड़ रही भवन की छाया धन-हानि की द्योतक है।
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