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कौन ?

दोस्तों आज एक उपन्यास "कौन ?" की शुरुवात इस ब्लॉग के माध्यम से कर रहा हूँ .....उपन्यास रहस्य और रोमांच से भरा हुआ है..इसमें मैंने अपनी जीवन के कुछ अनुभवों को भी शामिल किया है...आशा करता हूँ आपको पसंद आएगा....धन्यवाद!



आमुख
                                                                           

रविवार ,६ जुलाई  २०१२ ,दोपहर १ बजे

सावन के महीने में नैनीताल की ठंडी सड़क का नजारा , नैनी झील से सटा पश्चिमी इलाका पेड़ों की घनी छाँव के तले होने के कारण ठंडी सड़क के नाम से जाना जाता है| आसमान में बादल लुका-छिपी का खेल कर रहे थे , कभी वो हलकी फुहारों से जमीन को भिगो देते थे तो कभी सूरज को अपनी चमक बिखेरने का मौका दे रहे थे | नैनीताल की आबोहवा भी दुनिया में आ रहे मौसमी बदलाओं से अछूती नही थी | देश के मैदानी इलाकों से आये पर्यटकों को भले ही इस बदलाव का अनुभव नहीं हो रहा था मगर स्थानीय लोग बढ़ती गर्मी से परेशान थे | इसीलिए आज जब कई दिनों के बाद मौसम ने अचानक ठंड की जानिब रुख किया तो स्थानीय निवासी इसका आनंद लेने अपने-अपने  घरों से बाहर निकल आये थे | यूँ तो आज नैनीताल की हर सड़क देशी—विदेशी कदमों से सराबोर थी पर ठंडी सड़क में चहलकदमी अन्य जगहों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही थी |  


लोगों की भीड़ के बीच जहाँ ज्यादातर कदम टहलने वाली मुद्रा अख्तियार किये हुए थे वहीँ पर एक जोड़ी कदम ऐसे भी थे जिन्हें काफी जल्दी थी | भीड़ को चीरते हुए ये कदम तेजी से माल रोड की और बढ़ रहे थे | “गोल्डस्टार” पहने ये कदम ठंडी सड़क से निकलते हव माल रोड से सटी एक बाजार की तरफ मुड़े और एक मेडिकल स्टोर पर जाकर कुछ देर रुके और फिर अपने स्रोत का हिस्सा बन गए |

उच्चकोटि के शिक्षण संस्थान और ठंडी जगह होने के कारण यहाँ के बोर्डिंग संस्थानों में अमीर प्रवासी छात्रों की अधिकता थी | अमीर छात्रों का “द्रव्य” वहाँ फैले नशे के व्यापार में घुलकर उसे और भी समृद्ध कर रहा था | नशे के आदी अमीर लड़के-लड़कियां कई जगहों पर आपत्तिजनक अवस्था में भी देखे जाते थे | स्थानीय लोग इसे पहाड़ी  लोक-संस्कृति में गन्दगी के घालमेल करने की एक कवायद मानते थे और उन्हें इस बात का बेहद गुस्सा भी था |   

मल्ली ताल स्थित होली मेरी बोर्डिंग स्कूल के होस्टल का एक कमरा, कमरे में समान अस्तव्यस्त पड़ा हुआ है , कमरे की दीवारें विभिन्न सुपर बाईक्स के विभिन्न चित्रों से पटी हुई हैं... कमरे की खिडकी से बारिश की फुहारों से भीगती नैनीझील का खूबसूरत नजारा दिख रहा है ... गुसलखाने में पानी चलने के साथ किसी शख्स के गुनगुनाने की आवाज आ रही है | टेबल पर विदेशी ब्रांड की बेशकीमती  घड़ी रखी हुई है... बिस्तर पर हुक्का पड़ा है जिसमे से हल्का धुवां निकल रहा है , शायद कुछ देर पहले इसका  इस्तेमाल हुआ है...उसके साथ ही रखे हुए लैपटॉप पर अमेरिकी गायक “बोब डायलन ” ऊँची आवाज में गा रहें हैं... तभी घड़ी के साथ रखा हुआ  स्मार्टफोन बजने लगता है .... लैपटॉप पर चल रहे संगीत के कारण आवाज गुसलखाने तक नहीं पहुँच पा रही है... फोन दो बार और बजता है और फिर स्क्रीन पर एक सन्देश देकर शांत हो जाता है... कुछ देर बाद गुसलखाने में नहा रहा शख्स तौलिया लपेटे हुए बाहर आता है .... फोन पर आया हुआ सन्देश पड़ता है | सन्देश हिंदी में लिखा हुआ है...

“साहब ,पार्सल पहुँच गया है”  



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