29/3/18 कोई यूं ही नहीं बिछुड़ता , कोई राज़ रहा होगा, शिकवा कल का कोई होगा , कोई आज रहा होगा। हमको नहीं जररूत होगी शायद मेरी ज़माने को जाते हुए उसका यही , अंदाज़ रहा होगा। आबे हवा को रास्ता बताना फिज़ूल है, इनकी तरह भी उसका तस्स्वुर बेपरवाह रहा होगा।। नश्तर की तरह चुभती हैं 'कमलेश' वो अठखेलियाँ जिसको हैं ये बताई बातें वो हमदम, हमराज़ रहा होगा।। @ कमलेश वर्मा 'कमलेश'
Related Articles
This post first appeared on के.सी.वरà¥à¤®à¤¾ 'कमलेश', please read the originial post: here