असीम अरुण और विजय सिंह मीणा के बयानों में अन्तर्विरोध आईएस के नाम पर गिरफ्तारियों पर उठा रहा है सवाल- रिहाई मंच
7 मार्च की घटना को लेकर भी असीम अरुण और दलजीत चौधरी के बयानों में उपजे थे अन्तर्विरोध
एटीएस उन वेबसाइटों को ब्लाॅक करवाए जिन्हें वो मानती है आतंकी वेबसाइट
रिहाई मंच जल्द लाएगा जांच रिपोर्ट
लखनऊ 22 अप्रैल 2017। रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश के बिजनौर से दो युवकों समेत महाराष्ट्र, पंजाब और बिहार से 9 लोगों को आईएस के नाम पर उठाए जाने को आतंकवाद के नाम पर पूरे देश में भाजपा के पक्ष में मुस्लिम विरोधी माहौल बनाने की योजना का हिस्सा बताया है।
आतंकवाद से जुड़े केसों को लड़ने वाले और रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि गिरफ्तारियों के बाद बिजनौर-शामली को आतंकवाद का गढ़ कह बदनाम करने वालों को जानना चाहिए कि यहां से गिरफ्तार इक़बाल, नासिर हुसैन, याकूब, नौशाद जैसे नवजवान अदालतों से बाइज्जत बरी हो चुके हैं।
रिहाई मंच द्वारा जारी बयान में मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा है कि एक तरफ एटीएस आईजी असीम अरुण आईएस के नाम पर हुई इन गिरफ्तारियों को 7 मार्च को लखनऊ में हुए सैफुल्लाह फर्जी मुठभेड़ से जुड़ा हुआ बता रहे हैं तो वहीं आईजी लोक शिकायत विजय सिंह मीणा ने इन गिरफ्तारियों पर लखनऊ में सैफुल्लाह या उसके गैंग से संबंध न होने का बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह सैफुल्लाह की हत्या के बाद एटीएस औऱ केंद्रीय ऐजेंशियों ने आईएस के खोरासान मॉड्यूल का नाम लिया था जिसको बिजनौर समेत देश के अन्य हिस्सों से हुई गिरफ्तारियों के बाद असीम अरुण बोल रहे हैं। जबकि उसी दिन 8 मार्च को एटीएस एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी ने आईएस से जुड़े होने की बात से इन्कार कर दिया था। वहीं सैफुल्लाह मुठभेड़ पर जब ये सवाल उठा कि उसके पास घातक हथियार नहीं थे तो क्यों मार दिया गया तो असीम अरुण ने इसे पुलिस से हुई चूक बताया।
राजीव यादव ने कहा कि गिरफ्तारियों के बाद इस बार भी सुरक्षा ऐजेंशियों का बयान आया है कि इनका सीधे आईएस से जुड़ाव नहीं है पर ये उससे जुड़ी जानकारियों से रेडकलाइज़ होकर घटनाएं अंजाम देने की कोशिश में थे। उन्होंने कहा कि ऐसे में तो इन ऐजेंशियों पर सवाल उठता है कि आखिर वो देश में ऐसे विचारों से जुड़े वेबसाइट को प्रतिबंधित क्यों नहीं करते। क्या उन्हें बस सिर्फ इस बात का इंतज़ार रहता है कि लोग ऐसे विचारों के संपर्क में आएं तो उन्हें वे गिरफ्तार करें। ऐसे विचारों को रोकने में इनकी भूमिका न होना सवाल उठता है कि क्या इनको फैलाने में इनकी रुचि है।
राजीव ने कहा कि लखनऊ में सैफुल्लाह फर्जी मुठभेड़ के वक्त भी मीडिया के जरिए असीम अरूण ने दावा किया था कि वह आईएस का खतरनाक आतंकी है जिसके पास से हथियारों, विस्फोटकों और आतंकी साहित्य का जखीरा बरामद हुआ है। लेकिन इस जघन्य हत्या के दूसरे ही दिन असीम अरूण के दावों की पोल खुद पुलिस ने यह कहकर खोल दी कि सैफुल्ला के किसी भी आतंकी संगठन से जुड़े होने के कोई सुबूत नहीं मिले हैं।
रिहाई मंच महासचिव ने आरोप लगाया है कि सैफुल्ला की मौत पर उठने वाले सवालों को दबाने और उसे सही साबित करने के मकसद से बिजनौर समेत अन्य प्रदेशों से गिरफ्तारियां की जा रही हैं। जिसके लिए मीडिया के एक मुस्लिम विरोधी हिस्से के जरिए इन्हें कथित ‘खोरासान’ ग्रुप का मेम्बर बताया जा रहा है। जिसके बारे में इनके अलावा कोई नहीं जानता और मीडिया भी बिना इसकी सत्यता जांचे इसे सच की तरह प्रसारित कर रही है। उन्होंने कहा कि इन गिरफ्तारियों में भी पुलिस को कुछ भी सुबूत नहीं मिला है इसीलिए इन युवकों को इंटरनेट के जरिए आईएस के विचारों से प्रभावित होने की कमजोर और निराधार खबरें पुलिस मीडिया से प्रसारित करवा रही है। उन्होंने कहा कि एटीएस अधिकारियों को हर मुसलमान को पकड़ने या मारने के बाद उनके घर में पाई जाने वाली उर्दू या अरबी साहित्य की किसी भी किताब को आतंकी साहित्य बता देने की मानसिक बीमारी हो गई है।
उन्होंने कहा कि सैफुल्ला मामले में भी असीम अरूण ने अपने इसी मनोरोग का परिचय दिया था। उन्होंने कहा कि एटीएस को पहले तो यही सार्वजनिक तौर पर बता देना चाहिए कि कौन-कौन सी किताबें आतंकी साहित्य हैं ताकि लोग उन्हें न पढ़ें। इसी तरह एटीएस को चाहिए कि वो जिन वेबसाइटों को आतंकी वेबसाइट मानती है उनको ब्लाॅक करा दे। बिना ये सब किए आतंकी साहित्य और वेबसाइट पढ़ने के नाम पर मुसलमानों को फंसाने से एटीएस अपनी छवि तो खराब करेगी ही और न जाने कितने बेगुनाहों और उनके परिवारों की जिंदगियां भी खराब कर देगी। इन फर्जी गिरफ्तारियों के ज़रिए असीम अरूण जैसे कुछ अधिकारियों को जरूर मुख्यमंत्री के करीब जाने का मौका मिल जाएगा।
राजीव यादव ने कहा कि एटीएस फिर से 2007-2008 वाला आतंक का माहौल बनाने पर तुली है। जिसमें आए दिन पुलिस आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुसलमानों को फर्जी मुठभेड़ों में मारने और फंसाने के काम में लगी थी।