NGT On Ganga Pollution : क्या सच में नहीं रखा जा रहा है माँ गंगा का ख्याल ?
NGT On Ganga Pollution : मोदी सरकार को पांच साल पूरे होने वाले हैं और शायद अब तक जनता ने उनके किए गए कामों को परखना भी शुरू कर दिया होगा
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बात चाहे, नोटबंदी की हो या फिर स्मार्ट सिटीज बनाने की बीजेपी सरकार के हर कामों को लेकर जनता अब मुखर तरीके से सवाल उठा रही है.
हालांकि यह भी सच है कि मोदी सरकार की अभी तक कई योजनाओं का काम जमीन पर पूरा होता नहीं दिख रहा है.
जहां सरकार जनता से लगातार वायदे किये जा रही है वहीं एक के बाद एक योजना का सच सामने आ रहा है. आलम तो यह है कि सरकार की महत्वकांक्षी गंगा सफाई योजना भी अब तक किसी दृष्टता से कामयाब होती नहीं दिख रही है.
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नहीं रखा जा रहा है गंगा माँ का ख्याल !
आपको याद तो होगा ही कितने जोश के साथ पीएम द्वारा इस योजना की शुरुआत की गई थी लेकिन सब इसको लेकर NGT ने एक ऐसी रिपोर्ट दी है जो मोदी सरकार की पोल खोलने के लिए काफी है.
दरअसल, NGT यानि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि बेशक केंद्र की ओर से गंगा की सफाई को लेकर पैसा दिया गया है लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसको लेकर कोई काम नहीं हो रहा है जिसके चलते गंगा और गन्दी हो चुकी है.
पीठ ने कहा कि गंगा की सफाई में कोई सुधार ना होने की वजह से इसकी मौजूदा स्थित की नियमित निगरानी की जरूरत है.
इसके अलावा एनजीटी ने आदेश दिया कि गंगा में प्रदूषण के बारे में जमीनी स्तर पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वेक्षण कराए जाने की जरूरत है.
सुनवाई के दौरान प्राधिकरण ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार ने गंगा सफाई पर 7,000 करोड़ रूपये खर्च कर दिया है लेकिन गंगा अभी भी पर्यावरण के लिए एक गंभीर विषय बनी हुई है.
इससे पहले भी NGT साध चुकी है मोदी सरकार पर निशाना
गंगा एक मात्र ऐसी नदी है जिसका सम्मान 100 करोड़ भारतीय करते हैं और ऐसे में गंगा में बढ़ता प्रदूषण बेहद चिंता जनक है.
ज्ञात हो इस बयान से पहले, एनजीटी ने गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर निपटारा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की खिंचाई भी की थी.
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लोकसभा में बोले मंत्री !
केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में कहा, यह कहना सही नहीं है कि पिछले कई दशकों में किसी गंगा परियोजना में प्रगति नहीं हुई.
उन्होंने आगे बताया कि सन 1985 से 2018 तक करीब 168.4 करोड़ लीटर प्रतिदिन की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता स्थापित की जा चुकी है और 4,812 किमी के स्वीकृत सीवर नेटवर्क में से करीब 2,050 किमी सीवर लाइनों को नमामी गंगे परियोजना के तहत बिछाया जा चुका है.
खैर असलियत क्या है यह गंगा को देखते ही पता चल जाता है इतने करोड़ लगाकर भी नदी की हालत में कुछ ख़ास ठीक नहीं हुआ है,शायद पीएम मोदी को वायदे करने से ज़्यादा उन्हें निभाने पर ध्यान देना चाहिए.
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