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क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव ? जानिये इतिहास में कितना सफल रहा है ये प्रस्ताव

No Confidence Motion Modi Government : मोदी सरकार से पहले साल 2003  लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव 

No Confidence Motion Modi Government : आसान शब्दों में कहें तो जब मौजूदा सरकार के कार्यों के खिलाफ विपक्ष मिलकर अविश्वास जताता है तो ऐसे में सदन के अंदर एक प्रस्ताव पारित किया जाता है जिसे मौजूदा लोकसभा स्पीकर मंजूर या नामंजूर करते हैं.

इस समय सत्ता में बीजेपी की सरकार है और उसके खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव रखा है.
ज्ञात हो मामला केंद्र का है इसलिए इसे लोकसभा में लाया गया है यदि मामला राज्य का होता है तो इसको राज्ससभा में पेश किया जाता है.
अविश्वास लाने का मुख्य कारण मौजूदा सरकार को गिराना होता है इसके लिए  संसद के सदस्य को सुबह 10 बजे के पहले लिखित नोटिस देना होता है और इसके बाद ही आगे की कार्यवाही होती है.
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क्या हैं अविश्वास प्रस्ताव के मुख्य नियम ?  

सबसे पहले तो इस प्रस्ताव को लाने के लिए कम से कम सदन में 50 लोगों की मंजूरी हो तभी इसको लाने के बारे में सोचा जा सकता है.
यदि स्पीकर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है तो उस दिन से लेकर अगले 10 दिन के भीतर इसपर बहस होने का प्रावधान है. इसके बाद यदि बहस होती है तो मौजूदा सत्ताधारी सरकार को बहुमत सिद्ध करना होता है और अगर वो लोग विफल रहते हैं तो सरकार गिर जाती है.
बता दें कि यदि स्पीकर के स्वीकार करने के अगले 1० दिन तक अविश्वास प्रस्ताव पर बहस नहीं होती है तो इसको खारिज  मान लिया जाता है.

अब तक कुल 26 बार आ चुका है अविश्वास प्रस्ताव लेकिन सिर्फ…

इतिहास में अभी तक कुल 26 अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में आ चुके हैं और पीएम मोदी के खिलाफ बीते शुक्रवार को आये अविश्वास प्रस्ताव के बाद यह टोटल 27 हो गये हैं.
ज्ञात हो सबसे पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ समाजवादी नेता आचार्य कृपलानी ने दिया था. हालाकिं, इससे तत्कालीन सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा था.
इतिहास में सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव इंद्रा गाँधी के खिलाफ लाए गए थे लेकिन इनमें से कोई भी सफल नहीं रहा था. बता दें कि कुल 15 बार उनकी सरकार को अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ लड़ना पड़ा था.  

तो इतनी बार सफल रहा है अविश्वास प्रस्ताव ! 

आपको जानकर हैरानी होगी कि 26 में से केवल 3 बार ही अविश्वास प्रस्ताव सफल रहा था.
सबसे पहले 1990 में वी.पी. सिंह सरकार और फिर 1997 में एच.डी. देवेगौड़ा सरकार और आखिरी बार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सफल रहे हैं.
यहां बता दें कि तीन बार ऐसा भी  हुआ है जब प्रधानमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इसमें अटल जी, मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह का नाम शामिल है.
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मोदी सरकार से पहले साल 2003  लाया गया था अविश्वास प्रस्ताव   

हाल में मोदी सरकार को लेकर आये अविश्वास प्रस्ताव से पहले साल 2003 में अटल जी की सरकार के खिलाफ सोनिया गाँधी ने अविश्वास प्रस्ताव  दिया था.

क्या हो सकता है पीएम मोदी के खिलाफ आये अविश्वास प्रस्ताव का नतीजा ?  

मौजूदा हालत पर नज़र डालें तो मोदी सरकार मजबूत स्थिति में हैं, बीजेपी के पास अपने खुद के 315 सासंद हैं और उन्हें मत साबित करने के लिए कुल 268  की ज़रूरत है. ऐसे में साफ तौर बीजेपी का पलड़ा भारी है.
यहां आपको बता दें विपक्ष के साथ सब मिलाकर करीब 222 सासंद हैं जो बहुमत के आकड़े से काफी कम है.

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