शपथ ग्रहण समारोह संपन्न हुआ। राजस्थान को दो नए मुख्यमंत्री मिल गए। लेकिन राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी का द्वन्द युद्ध यहीं समाप्त नहीं होता। अभी तो बहुत लड़ाई बाकी हैं। लेकिन ये लड़ाई किसी विपक्षी या किसी पराये व्यक्ति से नहीं। ये लड़ाई तो कांग्रेस की अपनी लड़ाई है। जिसे कांग्रेस स्वयं कई सालों से पाल पोसकर बड़ी करती आयी है। आपस में लड़ने के लिए! 2013 विधानसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस के पास इतने विधायक तो बचे नहीं थे कि ये सत्ता पक्ष के सामने मजबूती से खड़े हो पाते इसलिए इन्होने अपना दिल बहलाने
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