Get Even More Visitors To Your Blog, Upgrade To A Business Listing >>

चन्द माहिया : क़िस्त 41

चन्द माहिया: क़िस्त 41

:1:

सदक़ात भुला मेरा
एक गुनह तुम को
बस याद रहा मेरा

:2:
इक चेहरा क्या भाया
हर चेहरे में वो
मख़्सूस नज़र आया

;3:
कर देता है पागल 
जब जब साने से
ढलता है तेरा आँचल

:4:
उल्फ़त की यही ख़ूबी
पार लगी उसकी
कश्ती जिसकी  डूबी

:5:
इतना ही समझ लेना
मै हूँ तो तुम हो
क्या और सनद देना


-आनन्द.पाठक-
08800927181
शब्दार्थ
सदक़ात  = [सदक़ा का बहु वचन] अच्छे कार्य  .दान पुण्य, न्यौछावर आदि
मख़्सूस   = ख़ास तौर से
साने से    = कंधे से
सनद       = प्रमाण-पत्र

Share the post

चन्द माहिया : क़िस्त 41

×

Subscribe to गीत ग़ज़ल औ गीतिका

Get updates delivered right to your inbox!

Thank you for your subscription

×