क़िस्त : 31
:1:
माना कि तमाशा है
कार-ए-जहाँ में सब
फिर भी इक आशा है
:2:
दरपन तो दरपन है
झूट नहीं बोले
सच बोल रहा मन है
:3:
क्या छाई घटाएं हैं
दिल है रिन्दाना
सन्दल सी हवायें हैं
:4:
जितना देखा फ़लक
उतनी ही तेरी
बातों में सच की झलक
:5:
ये कैसा नशा किस का
अब तक नै देखा
एह्सास है बस जिसका
-आनन्द.पाठक--
08800927181
:1:
माना कि तमाशा है
कार-ए-जहाँ में सब
फिर भी इक आशा है
:2:
दरपन तो दरपन है
झूट नहीं बोले
सच बोल रहा मन है
:3:
क्या छाई घटाएं हैं
दिल है रिन्दाना
सन्दल सी हवायें हैं
:4:
जितना देखा फ़लक
उतनी ही तेरी
बातों में सच की झलक
:5:
ये कैसा नशा किस का
अब तक नै देखा
एह्सास है बस जिसका
-आनन्द.पाठक--
08800927181
Related Articles
This post first appeared on गीत ग़ज़ल औ गीतिका, please read the originial post: here