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रतनजोत के औषधीय प्रयोग,उपयोग,लाभ


रतनजोत पौधा, 
अंग्रेजी में इसे जेट्रोफा कहते है। रतनजोत से बायो डीजल बनता है जो कि पर्यावरण के लिए आशीर्वाद साबित हो सकता है। खासकर के भारत जैसे देश में जहां प्रदूषण का लेवल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है ऐसे में इस पौधे की खेती करना अब अनिवार्य हो गया है। रहा है। यहीं वजह है कि रतनजोत की खेती बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य दोनों सरकारें किसानों को प्रोत्साहित कर रही है। इस पौधे का आयुर्वेद में भी महत्व बताया गया है। औषधी के रुप में ये कई रोगों को मिटाने में कारगर साबित हो रहा है।
*रतनजोत का उपयोग बालों को काला करने के लिए किया जाता है | परन्तु इसका उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है | रतनजोत को और भी कई नामों से जाना जाता है | जैसे :- लालजड़ी और दामिनी बालछड | अंगेजी भाषा में इस पौधे को onosma भी कहा जाता है | रतनजोत अधिकतर हिमालय के भागों में पाया जाता है | इसका उपयोग आँखों की रौशनी और बालो को काला करने के लिए किया जाता है | तो आइए जानते है कि रतनजोत को कैसे बालों के लिए प्रयोग करें |
* सबसे पहले महंदी का पेस्ट बना लें | इसके बाद इस पेस्ट में रतनजोत मिला लें और गर्म कर लें | जब यह गर्म हो जाये तो ठंडा होने के लिए रख दें | जब यह ठंडा हो जाये तो इसे बालों में लगा लें और कम से कम 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें | इसके बाद पानी से सिर धो लें |
*जिस तेल का आप प्रयोग करते है | उस तेल में रतनजोत के थोड़े से टुकड़े डालकर अच्छी तरह से मिलाएं | इसके मिलाने से तेल का रंग सुंदर तो होता है | इस तेल को बालों में लगाने से बाल स्वस्थ और काले हो जाते है |
रतनजोत की जड़ के फायदे
·* रतनजोत , एक किलोग्राम सरसों का तेल , मेंहदी के पत्ते , जलभांगर के पत्ते , और आम की गुठलियों को आपस में मिलाकर सरसों के तेल को छोडकर कूट लें | (लेकिन ध्यान रहे कि इन सभी पदार्थों की लगभग 100 – 100 ग्राम की मात्रा ही लेनी है | ) जब यह कूट जाये तो इसे निचोड़ लें | निचोड़ने के बाद इसे सरसों के तेल में इतना उबाल ले कि इसका पानी खत्म हो जाये और केवल तेल बचे | अब इस तेल को छानकर अलग कर लें | इस तरह से यह एक औषधि तैयार है | इस तेल को रोजाना सिर पर लगाने से बाल काले हो जाते है | इस तेल को लगाने के साथ ही साथ कम से कम 250 ग्राम दूध का सेवन करना चाहिए |यह उपचार बेहद कारगर है |वले को पीसकर बारीक़ चूर्ण बना लें | इस चूर्ण में निम्बू का रस और रतनजोत मिलाकर के मिश्रण बनाएं | इस तैयार मिश्रण को बालों में लेप की तरह लगा लें | इस लेप को लगभग १५ से 20 मिनट तक रखें और सिर धो लें | ऐसा करने से बाल काले हो जाते है | आंवला और लौह चूर्ण को आपस में मिलाकर पानी के साथ पीस लें | इसे अपने बालो में लगा लें और कुछ समय बाद सिर धो लें | ऐसा करने से सफेद बाल काले हो जाते है |
* दही , 100 ग्राम हल्दी , पीसी हुई एक ग्राम काली मिर्च और रतनजोत लें | अब इन सभी को आपस में मिलाकर एक मिश्रण बनाएं | इस मिश्रण को सिर में कुछ देर तक लगाकर छोड़ दें और हल्के गर्म पानी से सिर धो लें | इस तरह के उपचार को एक सप्ताह में कम से कम एक बार करें | इससे आपके बालों का झड़ना बंद हो जायेगा और बाल स्वस्थ और काले हो जायेंगे |
*पौधे की जड़ को पीसकर पावडर बना लें | इस पावडर को रोजाना सुबह और शाम लगभग आधे ग्राम की मात्रा में सेवन करें | इस उपचार को करने से स्किन की प्रोब्लम दूर हो जाती है |
*· रतनजोत के पौधे की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से दिल से जुडी हुई बीमारी नही होती |
·* रतनजोत की ताज़ी पत्तियों का सेवन करने से खून का शुद्धिकरण होता है | इसके आलावा रतनजोत का उपयोग से स्किन पर होने वाले दाद , खुजली से छुटकारा मिल जाता है | जिसे पथरी की समस्या है , उसे नियमित रूप से रतनजोत के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीना चाहिए | इस उपचार को करने से गुर्दे की पथरी ठीक हो जाती है | करने से मष्तिष्क की ताकत भी बढती है |
* रतनजोत को थोडा सा घिस लें | इस घिसे हुए रतनजोत को अपने माथे पे लगायें | इस उपचार को करने से डिप्रेशन नही होता और मानसिक क्षमता बढती है |
* रतनजोत को बारीक़ पीस लें | इसे तेल में डाल दें | इस तैयार तेल से अपने शरीर की मालिश करें | ऐसा करने से स्किन का रुखापन दूर हो जाता है |
रतनजोत के और भी अन्य उपाय निम्नलिखित है :-
·*      रतनजोत के पौधे की जड़ को पीसकर बारीक कर लें | जिन लोगों को मिर्गी या दौरे पड़ते हों ,उन्हें इस बारीक़ चूर्ण की एक ग्राम की मात्रा को सुबह के समय और शाम के समय खिलाएं | इस उपचार को लगातार करने से मिर्गी और दौरे की समस्या दूर हो जाती है |
*इसके फूल और तने औषधीय गुणों के लिये जाने जाते हैं।
*इसकी पत्तियां घाव पर लपेटने (ड्रेसिंग) के काम आती हैं।
*इसके अलावा इससे चर्मरोगों की दवा, कैंसर, बाबासीर, ड्राप्सी, पक्षाघात, सर्पदंश, *मच्छर भगाने की दवा तथा अन्य अनेक दवायें बनती हैं।
*कब्ज या पेट से जूडी बिमारीयों के लिए रतनजोत का बीज वरदान है।
*इसके छाल और जड़ो से ‘डाई’ और मोम बनायी जा सकती है।


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