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हल्दी क्या है और हल्दी के औषधीय गुण क्या हैं जानें | What is turmeric and what are the medicinal properties of turmeric?


haldee kya hai aur haldee ke aushadheey gun kya hain jaanen


कच्ची हल्दी केरला वाली
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हल्दी पाउडर
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भारतीय रसोई का श्रंगार व भारतीय मसालों की रानी हल्दी से शायद विरला ही कोई ऐसा होगा जो परिचित न हो । भारत में तो शायद ही कोई एसा व्यक्ति हो जो हल्दी को न जानता हो यह इग्लिस भाषा में टरमरिक के नाम से जानी जाती है। यह एक एसा मसाला है जिसके विना शायद बहुत ही कम सब्जियाँ बनती होंगी। हल्दी (टर्मरिक) एक भारतीय वनस्पति है। जो अदरक प्रजाति का ५-६ फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ गाठों के रुप  में होती है और इसे ही हम हल्दी कहते हैं। यह आयुर्वेद में प्राचीन काल से ही एक चमत्कारिक द्रव्य माना गया है। और आयुर्वेदिक औषधि ग्रंथों में इसी हल्दी को हरिद्राकुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना, योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम,आदि नामों से वर्णित किया गया है। इसे आंग्ल  भाषा में टर्मरिक के नाम से जाना जाता है।हल्दी आयुर्वेद का एक प्रमुख औषधीय द्रव्य है जिसे एक महत्‍वपूर्ण औषधि‍ कहा गया है।हल्दी का भारतीय रसोई में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान तो है ही इसे धार्मिक रूप से भी इसको बहुत शुभ समझा जाता है। भारतीय  विवाह की परम्परा में तो हल्दी की रसम का अपना एक विशेष महत्व है।
हल्दी का लैटि‍न नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa) है।
व अंग्रेजी नाम : टरमरि‍क (Turmeric) है।
वाटनिकल पारि‍वारि‍क नाम : जि‍न्‍जि‍बरऐसे

आयुर्वेद के अनुसार हल्दी पाचन तंत्र की गड़बड़ियाँ सुधारने वाली, सूजन कम करने वाली या शोधहारी, और 





शरीर के दोषों का शोधन करने वाली औषधि है जिसे आयुर्वेद में हजारों सालों से उपयोग किया जा रहा है। इसमें पाये जाने वाले तत्व करक्यूमिनोइड्स और वोलाटाइल तेल हैं जो कैंसर रोग से लड़ने के लिए भी जाने जाते हैं। 
 हल्दी को सर्दियों के मौसम में अत्यधिक लाभकारी माना गया है लेकिन वैसे इसे सामान्य रुप में कभी भी प्रयोग किया जा सकता है लैकिन सर्दियों में इसके लाभ कुछ ज्यादा बढ़ जाते हैं। हल्दी की कच्ची गाँठों को वैसे सामान्यतः उवालकर और धूप में सुखाकर व पीसकर चूर्ण तैयार किया जाता है जिसे बाजार में आप हल्दी पाउडर के नाम से जानते हैं लैकिन इस प्रकार तैयार हल्दी में हल्दी का विशेष तत्व करक्यूमिन कुछ हद तक कम हो जाता है अतः नये शोधों से ज्ञात हुआ है कि हल्दी को उवालकर उसके अन्दर पाया जाने वाला करक्यूमिन कुछ  मात्रा में पानी के साथ निकल जाता है अतः इसकी जड़ की गाँठों को सीधे ही छोटे छोटे पीस में काटकर धूप में सुखा लेना चाहिये और सूखने पर सीधे ही पीसकर पाउडर के रुप में प्राप्त करना चाहिये जिसमें इसके समस्त गुण ज्यों के त्यों रहेगें। इसमें हल्दी का रंग भी उवले हुये पाउडर की अपेक्षा अच्छा आयेगा। क्योंकि इसका रंग धुल नही पायेगा। साथ ही इसके तत्व भी ज्यों के त्यों रहेंगे।

कच्ची हल्दी, अदरक की तरह दिखाई देती है। इसे ज्यूस में डालकर, दूध में उबालकर, चावल के व्यंजनों में डालकर, अचार के तौर पर, चटनी बनाकर और सूप में मिलाकर उपयोग किया जा सकता है। 

हल्दी के आयुर्वेदिक औषधीय गुण ----

1. हल्दी कैंसर रोग का विनाश कर सकती है।
 कच्ची हल्दी में कैंसर से लड़ने का गुण होता हैं। खासतौर पर यह पुरुषों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर के कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकती तो है ही साथ साथ उनका खात्मा भी कर देती है। इसके अलावा यह हानिकारक रेडिएशन के संपर्क में आने से जो ट्यूमर हो जाता है उससे भी बचाव करती है। 

2.        2. हल्दी शोथ हारी है----
हल्दी में एक खास गुण होता है जो है सूजन को रोकने का । अतः हल्दी गठिया के रोगियों को अत्यधिक लाभ पहुँचाती है। हल्दी फ्री रेडिकल्स को समाप्त करती है जिससे शरीर के प्राकृतिक सेल्स बनते रहते है और इस प्रकार हल्दी गठिया रोग में होने वाले जोडों के दर्द में लाभ पहुंचाती है। 
3.  हल्दी डायविटीज को नियंत्रित रखती है----
कच्ची हल्दी इंसुलिन के स्तर को संतुलित रखने का गुण रखती है। अतः यह मधुमेह रोगियों के लिए बहुत लाभदायक होती है। और तो और यह इंसुलिन के अलावा ग्लूकोज को नियंत्रित करती है जिससे मधुमेह के दौरान दिये जाने वाले उपचारों का असर ज्यादा होता है।लैकिन ध्यान रहे कि आप अगर मधुमेह से ग्रसित हैं और आप किसी प्रकार की दवा ले रहे हैं तो हल्दी का प्रयोग करने से पहले डाक्टर या वैद्य से जानकारी कर लें कि वह दवा कहीं ज्यादा डोज की तो नही है। अगर दवा पहले से हैवी डोज की है तो हल्दी का प्रयोग वैद्य या चिकित्सक के सुझाव के अनुसार ही करें।
आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह से पीडि़त व्यक्ति को हल्दी की गांठों को पीसकर तथा देसी घी में भूनकर और थोड़ी चीनी मिलाकर कुछ दिनों तक रोजाना देने से रोगी को काफी राहत मिलती है। 
4.  हल्दी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है----
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 हल्दी में लिपो-पॉलीसेकेराइड नाम का एक तत्व होता है जो शरीर में इम्यून सिस्टम मजबूत करने के लिए उत्तरदायी होता है। नवीनतम शोधों से यह पताया लगा जा चुका है यही तत्व शरीर में बैक्टेरिया से लड़ने की ताकत प्रदान करता है अतः यह कहा जा सकता है कि हल्दी हमें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करती है या हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा देती है फलस्वरुप हमारे शरीर को रोगों से लड़ने की अतिरिक्त शक्ति हल्दी से प्राप्त होती है यह सामान्य बुखार व  फंगल इंफेक्शन से बचाने का गुण रखती है। 
5. हल्दी हृदय रोग को दूर करती है----  
 हल्दी के लगातार इस्तेमाल से कोलेस्ट्रोल सेरम का स्तर शरीर में कम बना रहता है। कोलेस्ट्रोल सेरम को नियंत्रित रखकर हल्दी शरीर को ह्रदय रोगों से सुरक्षित रखती है। 

6. हल्दी वैक्टीरियल व फंगल इन्फैक्सन को रोक देती है-----
कच्ची हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी सेप्टिक गुण होने के कारण इंफेक्शन से लडने के गुण भी पाए जाते हैं। जिससे शरीर में होने वाले वैक्टीरिया या फंगस के रोगों को दूर करने की क्षमता हल्दी रखती है। यह सोराइसिस जैसे त्वचा संबंधी रोगों से बचाव भी करती हैं। 
7. हल्दी एक स्किन टॉनिक है----
हल्दी का उपयोग त्वचा को चमकदार और स्वस्थ रखने में बहुत कारगर है। इसके एंटीसेप्टिक गुण के कारण भारतीय संस्कृति में विवाह के पूर्व पूरे शरीर पर हल्दी का उबटन लगाया जाता है। और इस प्रथा को हल्दी लेपन नाम से जाना जाता है। इसे फेस पैक के रूप में बेसन के साथ लगाने से त्वचा में निखार आता है 

8. हल्दी शरीर को हल्का बनाती है ----
कच्ची हल्दी से बनी चाय अत्यधिक लाभकारी पेय है। इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है।
. हल्दी में वजन कम करने का गुण पाया जाता है। इसका नियमित उपयोग से वजन कम होने की गति बढ़ जाती है।

10. हल्दी लिवर टॉनिक भी है---
शोध से साबित होता है कि हल्दी लीवर को भी स्वस्थ रखती है। हल्दी के उपयोग से लीवर सुचारु रुप से काम करता रहता है।
11. हल्दी पथरी को नष्ट कर देती है - यदि शरीर में पथरी हो गई है तो हल्दी और पुराना गुड़ छाछ में मिलाकर सेवन करने से निजात मिल जाती है।
12. हल्दी बुखार को समाप्त कर देती है-
ठंड से आने वाले बुखार में दूध को गर्म कर हल्दी और कालीमिर्च मिलाकर पीने से बुखार जल्दी ही शरीर से छूमंतर हो जाता है।
13. चेचक के घावों हेतु लाभदायक - देखने में आया है कि चेचक के घाव अक्सर व्यक्ति को रूलाकर रख देते हैं। इसलिए इस दौरान हल्दी और कत्थे को महीन पीसकर चेचक के घावों पर छिड़कें। निस्संदेह काफी लाभ पहुंचेगा।
14. जुकाम का अंत - हल्दी और दूध को गर्म कर उसमें थोड़ा गुड़ और नमक मिलाकर बच्चों को पिलाने से कफ और जुकाम का अंत हो जाता है।
15. रूप निखार के लिए सर्वोत्तम - अक्सर शादी-विवाह के दौरान दुल्हन की काया, सौंदर्य और रूप निखार के लिए हल्दी का उबटन, लेप और मालिश की जाती है। इससे शरीर की काया और रंग में काफी सुधार होता है।
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16.  सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में उपयोगी-आज की तारीख में अधिकांशत: बड़ी-बड़ी कंपनियां प्रसाधन सामग्री का निर्माण करने हेतु हल्दी को मुख्य अवयव के रूप में इस्तेमाल कर रही हैं जिससे चेहरे की क्रीम और शरीर के लोशन का निर्माण किया जाता है।
इस प्रकार हल्दी का उपयोग प्राकृतिक सौंदर्य रूपी प्रसाधन की डिमांड बन गई है जिसकी लोगों को सदा तलाश रहती है।



हल्दी अनेको गुणों से भरपूर आयुर्वेदिक औषधि है परंतु कुछ रोगियों पर इसके विपरीत प्रभाव भी हो सकते हैं। जिन लोगों को हल्दी से एलर्जी है उन्हें पेट में दर्द या डायरिया जैसे लक्षण सामने आ सकते हैं। इसके अतिरिक्त  गर्भवती महिलाओं को कच्ची हल्दी के उपयोग से पहले चिकित्सकीय सलाह ले लेनी चाहिए।  यह खून का थक्का जमने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है जिससे रक्त का बहाव बढ़ जाता है अत: अगर जिस रोगी की सर्जरी होने वाली हो तो उसे कच्ची हल्दी का सेवन नहीं करना चाहिए।   


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