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सच जलता है!

Transcription: ‘सच जलता है’

वक़्त कि नाराज़गी हँसती है मुझपर,
शरारती नज़रों से छल करती है अक्सर,
सचाई को नज़रअंदाज़ यूँ ही कर देती है वो,
‘पगली कहकर’, सच का साथ छोड़ देती है वो|

लड़ती-झगड़ती हूँ मैं उसकी इस आदत से,
हठ भी करती हूँ झूठ की दीवारों से,
हार मैं माना करती नहीं,
पर हाँ, थक जाती हूँ इस ज़िद्दी सफर में|

चलते-चलते रुक जाती हूँ झूठ के पथ पर,
फिर साँस गहरी लेती हूँ सच की ज़मीन पर,
खड़ी तो हो जाती हूँ झूठ को झेलने के लिए,
पर चलती हूँ मैं, धीमी गति से फिर अक्सर|

इन रास्तों में झूठ छूट जाते हैं पीछे,
कुछ पल हँसकर वो भी हार जाते हैं सच से,
वक़्त लगता है सच को परवान चढ़ने के लिए,
सच अक्सर जलता है हीरा बनने के लिए|


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Background Music Credit: There is Romance Kevin MacLeod (incompetech.com)
Licensed under Creative Commons: By Attribution 3.0 License
http://creativecommons.org/licenses/by/3.0/

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