हिन्दू धर्म में देवी और देवता समय समय पर अवतार लेते है। एक बार ऐसे ही दुर्गा देवी ने भी सृष्टि के कल्याण के अवतार लिया था। दुर्गा देवी ने वैष्णवी देवी के रूप में केरल जैसे पवित्र धरती पर अवतार लिया। उनके इस अवतार को हमेशा स्मरण रखने के लिए केरल में उनके लिए एक मंदिर भी बनवाया गया और उस मंदिर को परमेक्कावु भगवती मंदिर – Paramekkavu Bagavathi Temple नाम दिया गया। वैष्णवी देवी के इस अवतार की और मंदिर की पूरी जानकारी निचे दी गयी।
परमेक्कावु भगवती मंदिर – Paramekkavu Bagavathi Temple
केरल के सबसे बड़े भगवती मंदिरों में से थ्रिसुर जिले के ‘परमेक्कावु मंदिर’ बहुत ही बड़ा और भव्य मंदिर है। यह मंदिर वादाकुमनाथ मंदिर के बाजु में ही बनाया हुआ मंदिर है। यह मंदिर वैष्णवी देवी का मंदिर है और वैष्णवी देवी माता दुर्गा देवी का अवतार माना जाता है।
केरल के देवियों के सबसे बड़े मंदिरों की सूची में इस मंदिर को शामिल किया जाता है साथ ही यह मंदिर थ्रिसुर पूरम त्यौहार में भी हिस्सा लेता है। इस त्यौहार के दौरान परमेक्कावु से वादाक्कुमनाथ मंदिर में पुरे 15 हाथी यात्रा में शामिल किये जाते है। इस त्यौहार के दौरान हजारों भक्त मंदिर में आते है और इस त्यौहार का पूरा लुत्फ़ उठाते है।
परमेक्कावु भगवती मंदिर में मनाये जानेवाले त्यौहार – Paramekkavu Bagavathi Temple Festival
थ्रिसुर पूरम यहाँ का सबसे बड़ा त्यौहार है और लोग बड़े धूमधाम से इसे मनाते है। ऐसा कहा जाता है की इस त्यौहार के दिन वैष्णवी देवी भगवान शिव से मिलने के लिए वादाक्कुनाथ मंदिर में जाती है। इस त्यौहार के मौके पर परमेक्कावु भगवती मंदिर और थिरुवंबदी मंदिर के बिच में मित्रता और भी बढ़ जाती है। इन मंदिरों से एक भव्य यात्रा निकाली जाती जिसमें 15 हाथी शामिल किये जाते है और उन्हें वादाक्कुमनाथ मंदिर में लाया जाता है।
इस त्यौहार में दोनों भी मंदिरों की और से यात्रा में लोग शामिल होते है। दोनों मंदिर यात्रा की रौनक बढ़ाने के लिए रोशनाई करते है, मोर के पंखो का इस्तेमाल करने से यात्रा और भी सुन्दर दिखाई देती है और विशेष रूप से हाथीयो को सजाया जाता है और उनके ऊपर मन को आकर्षित करनेवाले छाते बिठाये जाते है। शिवरात्रि, मकर चोवा और नवरात्री जैसे त्यौहार भी इस मंदिर में मनाये जाते है।
परमेक्कावु भगवती मंदिर तक कैसे पहुचे? – How to Reach Paramekkavu Bagavathi Temple
यह मंदिर थ्रिसुर रेलवे स्टेशन से केवल 2 किमी की दुरी पर स्थित है। इस मंदिर में पहुचने के लिए बस, कार और ऑटोरिक्शा से बड़ी आसानी से पंहुचा जा सकता है। कोचीन हवाईअड्डा थ्रिसुर से केवल 50 किमी की दुरी पर स्थित है। वहा से कुछ ही घंटो में इस मंदिर में पंहुचा जा सकता है। एर्नाकुलम रेलवे जंक्शन थ्रिसुर से केवल 68 किमी की दुरी पर स्थित है।
परमेक्कावु भगवती मंदिर की कुछ खास बाते – Interesting fact about Paramekkavu Bhagavathy Temple
- यह केरल का एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है की यह मंदिर 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है।
- केरल के सबसे बड़े मंदिरों में भगवती मंदिर भी शामिल है।
- यह मंदिर थ्रिसुर पूरम त्यौहार के लिए सबसे अधिक जाना जाता है।
- इस मंदिर की पुराणी देवी की मूर्ति पूरी तरह से ख़राब हो गयी थी इसीलिए अब इस मंदिर में लकड़ी से बनाई हुई मूर्ति स्थापित की गयी है और उसकी 8 भुजाये है।
- जब इस मंदिर में यात्रा का आयोजन किया जाता है तो इसमें पुरे 15 मंदिर हिस्सा लेते है। यात्रा इस मंदिर से शुरू होकर वादाक्कुनाथा मंदिर में जाकर पूरी होती है।
जब थ्रिसुर पूरम का त्यौहार मनाया जाता है तो यह मंदिर थिरुवंबदी मंदिर के साथ में प्रतियोगिता करता है। - इस मंदिर का ट्रस्ट स्कूल भी चलाता है। यह संस्था यह के अन्य शिष्यों के लिए एक और भी स्कूल चलाने का काम करती है। परमेक्कावु विद्या मंदिर इस स्कूल का नाम है।
वैष्णवी देवी के इस मंदिर का इतिहास जानने के बाद हमें यह ज्ञात हो जाता है की यह मंदिर हजारों साल पुराना है। इस मंदिर के पीछे का इतिहास काफी समृद्ध और रोचक है। इस मंदिर में साल भर लोग देवी के दर्शन करने के लिय बड़े दूर दूर से आते है। जब इस मंदिर में त्यौहार का आयोजन किया जाता है तो भक्तों की संख्या कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है।
कभी कभी तो भीड़ इतनी बढ़ जाती है की लोग मंदिर में भी समा नहीं सकते। त्यौहार और यात्रा के दौरान तो दुसरे मंदिर से भी लोग आते है और यात्रा में शामिल हो जाते है। कहा जाता है की 15 अलग अलग मंदिरों से लोग इस मंदिर में आते है और यात्रा की रौनक और भी बढ़ाते है।
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