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पश्चिम बंगाल का इतिहास और जानकारी | West Bengal state History Information

West Bengal – पश्चिम बंगाल भारत का एक बहुत बड़ा राज्य है। यह राज्य भारत के पूर्व दिशा मे स्थित है। भारत को आजादी मिलने से पहले इस राज्य को सभी बंगाल नाम से बुलाते थे। लेकिन देश को आजादी मिलने के बाद इसे पश्चिम बंगाल नाम दिया गया। कोलकाता इस राज्य की राजधानी है और यह इस राज्य का सबसे बड़ा शहर है। बंगाली भाषा में इस राज्य को पश्चिम बांगा कहा जाता है।

पश्चिम बंगाल का इतिहास और जानकारी – West Bengal state History Information

इस राज्य के बारे में संस्कृत साहित्य में भी पढ़ने को मिलता है लेकिन इस राज्य की पूरी जानकारी केवल ईसापूर्व 3 री सदी से ही ज्ञात होती है जब यहापर मौर्य साम्राज्य के शासक सम्राट अशोक शासन किया करते थे। लेकिन जैसे ही मौर्य साम्राज्य का प्रभाव कम होता गया उसके साथ ही यहापर सब तरफ़ अराजकता बड़े पैमाने पर फ़ैल चुकी थी।

4 थी सदी में इस प्रदेश में  के समुद्र गुप्त शासन करते थे। लेकिन उसके बाद में बंगाल में पाल वंश के राजा शासन करते थे। लेकिन 13 वी सदी से लेकर 18 वी सदी में मध्य तक जब अंग्रेज भारत में आये थे तो उस समय बंगाल पर केवल मुस्लीम लोग ही शासन करते थे। उस समय बंगाल दिल्ली के सुलतान के नियंत्रण में था लेकिन इसे स्वतन्त्र रूप से चलाने का काम गवर्नर ही किया करते थे।

सन 1757 में अंग्रेज अधिकारी रोबर्ट क्लाईव ने प्लासी की लड़ाई में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला को हराया था। इस प्लासी को आज सभी पलाशी नाम से जानते है। सन 1765 में उत्तर भारत के बादशाह शाह आलम 2 ने बंगाल, बिहार और ओरिसा (ओडिशा) के दीवानी अधिकार ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी को दिए थे। दीवानी अधिकार देने का मतलब होता है की उस प्रदेश का नियंत्रण करना और वहा का सारा राजस्व इकट्ठा करना।

सन 1834 से बंगाल के गवर्नर जनरल को भारत का गवर्नर जनरल नाम से बुलाया जाता था मगर सन 1854 में इस पद का सारा कामकाज लेफ्टिनेंट गवर्नर को सौपा गया था। तबसे अंग्रेज भारत सरकार बंगाल सरकार से अलग हो गयी थी।

सन 1874 में आसाम का शासन लेफ्टिनेंट गवर्नर के हाथसे निकालकर मुख्य आयुक्त को सौपा गया था। सन 1905 में अंग्रेज सरकार को लगा था की बंगाल का शासन ठीक से देखा नहीं जा रहा इसीलिए उन्होंने बंगाल का बटवारा करने का फैसला लिया था मगर हिन्दू लोगो ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया लेकिन इसका सरकार पर कोई असर नहीं हुआ।

उन्होंने बंगाल के दो हिस्से किये और उसमे एक हिस्से में बंगाल, बिहार और ओरिसा को रखा और दुसरे हिस्से में पूर्वी बंगाल और आसाम को अलग किया। लेकिन लोगो ने इसका इतना विरोध किया की अंग्रेज सरकार को इस फैसले को बदलना पड़ा और सन 1911 में बंगाल को फिर से एक करना पड़ा।

सन 1935 के भारत सरकार कानून के तहत सन 1937 में बंगाल को स्वायत्त प्रान्त बना दिया गया था। सन 1947 तक भारत और पाकिस्तान की निर्मिती होने तक बंगाल इसी हालत में था। बंगाल का पूर्वी भाग जिसमे मुस्लीम लोग ज्यादा थे उसे पूर्व पाकिस्तान(बाद में बांग्लादेश) बना दिया गया और और पश्चिम हिस्से को भारत का पश्चिम बंगाल घोषित कर दिया गया।

सन 1950 मे ‘कुछ बिहार’ को बंगाल में शामिल कर लिया गया था। 1956 में भारत के कई राज्य की निर्मिती भाषा के आधार पर करने के बाद पश्चिम बंगाल को बिहार से 3140 वर्ग मील (8130 वर्ग किमी) का प्रदेश दिया गया था।

आजादी मिलने के बाद में पश्चिम बंगाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) की तीन दशको तक सरकार थी। लेकिन 1977 के विधान सभा के चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जीती थी और उन्होंने राज्यमें पहली बार सरकार बनायीं थी।

दुनिया में सबसे लम्बे समय तक किसी लोकशाही देश में सरकार बनाये रखनेवाली केवल कम्युनिस्ट पार्टी थी और उन्होंने 1977 से 2011 तक पश्चिम बंगाल में सरकार चलायी थी। लेकिन 2011 के विधान सभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में पहली बार आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने सरकार बनायीं।

तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस पार्टी के साथ में मिलकर सरकार बनायीं थी। ममता बनर्जी इस तृणमूल कांग्रेस की संस्थापक और नेता है। पश्चिम बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का सम्मान ममता बनर्जी को ही दिया जाता है।

पश्चिम बंगाल के जिले – Districts of West Bengal

पश्चिम बंगाल में कुल 23 जिले स्थित है। उनके नाम निचे दिए गए है: अलिपुर्दुअर, बंकुरा, कलिम्पोंग, बीरभूम, बर्दवान, दक्षिण दिनाजपुर, दार्जिलिंग, हुगली, हावड़ा, जलपाईगुड़ी, झारग्राम, कोलकता, मालदा, मुर्शिदाबाद, नाडीया, कुछ बिहार, उत्तर 24 परगना, उत्तर दिनाजपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पूर्व मेदिनीपुर, पुरुलिया, दक्षिण 24 परगना, और पश्चिम बर्दवान।

पश्चिम बंगाल की भाषा – West Bengal language

बंगाली पश्चिम बंगाल की मुख्य भाषा है। बंगाली भाषा के अलावा यहाँ के लोग इंग्लिश और हिंदी भाषा में भी बात करते है। दार्जिलिंग (सिलिगुरी छोडके) और कलिम्पोंग जिले के पहाड़ी इलाके में नेपाली मुख्य भाषा है।

पश्चिम बंगाल का सांस्कृतिक जीवन – Cultural life of West Bengal

बंगाली लोगो की कला, साहित्य, संगीत और नाट्य काफी समृद्ध है। पश्चिम बंगाल के लोग ज्यादातर टेराकोटा और पेंटिंग पर विशेष ध्यान देते है। बंगाली लोगो का साहित्य भी 12 सदी से भी ज्यादा पुराना है।

बंगाल में संत चैतन्य(1485-1533) ने अपनी कविताओ के माध्यम से हिन्दू धर्मं का चैतन्य आन्दोलन भी किया था और उनके इस काम की वजह से ही बंगाल में बहुत बड़े बदवाल देखने को मिले। इसीकी करना पश्चिम बंगाल के रवीन्द्रनाथ टैगोर भी महान कवी बन सके और उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार भी दिया गया।

बंगाल में बहुत सारे धार्मिक और सांस्कृतिक गीत बनाये जाते है और उन्हें अच्छे से संभालकर रखा जाता है। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ‘रविन्द्रसंगीत’ नाम से कई सारे गीत लिखे है और उनके वह सभी गीत भारत के शास्त्रीय संगीत और पारंपरिक संगीत का अहम हिस्सा माना जाता है जिसमे बौल गीत भी शामिल है। इन्होने बंगाल के सांस्कृतिक जीवन पर काफी प्रभाव डाला है।

बंगाल ज्यादातर नाट्य के लिए काफी प्रसिद्ध है और सभी तरह के लोगो को नाट्य में हिस्सा लेना अच्छा लगता है। बंगाल के गाव और शहरों में यात्रा का आयोजन बड़े पैमाने पर किया जाता है। यहापर गाव में सभी लोग समय पर ही कविताये रचते है उनके माध्यम से एक दुसरे के साथ विवाद करते है। लोककथा पर आधारित यहाँ के गाव में कथाकता नामक धार्मिक परंपरा भी है।

मनोरंजन में भी पश्चिम बंगाल आगे है। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्थर पर भी बंगाली फिल्मो की प्रशंसा की जाती है। सत्यजित रे, तपन सिन्हा, मृणाल सेन, अपर्णा सेन जैसे महान निर्देशक पश्चिम बंगाल की ही देन है।

पश्चिम बंगाल का इतिहास काफी लम्बा और गौरवशाली है। इस राज्य को सिराजुद्दौला जैसे महान शासक मिले है। पश्चिम बंगाल का सांस्कृतिक क्षेत्र मे भी बड़ा योगदान रहा है। रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान कवी पश्चिम बंगाल के ही है।
साहित्य के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। गीतांजलि जैसे महान साहित्य की निर्मीती उन्होंने की थी और उसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। पश्चिम बंगाल के गाव और शहरों में यात्रा का बड़ा आयोजन किया जाता है और लोग बड़ी संख्या में उसमे हिस्सा लेते है।

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