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चंदा मामा पर कुछ कवितायेँ | Poem on Moon

दोस्तों, चंद्रमा यानि बच्चों के साथ साथ बड़ों के भी चंदा मामा। हम सब को बहुत प्यारे होते हैं। आज हम उन्ही पर कुछ कवितायेँ – Poem on Moon लायें हैं। आपको जरुर पसंद आएँगी।

चंदा मामा पर कुछ कवितायेँ – Poem on Moon Chanda Mama

Poem on Moon

“देख रहा तुझे।”

तू सफेद चाँद, उज्ज्वल चाँद रे
लग रहा आसमान का मोती है
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

बड़े चाँद, ओ प्यारे चाँद रे
तेरी परछाई इस पानी में
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

मुझे पता है तू कल फिर आएगा रे
दुवा मेरी है की तू ऐसे ही चमकता रहे
नन्हा सा मैं छत से, देख रहा तुझे।

Chand par Kavita

“चाँद”

रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया

~अनुष्का सूरी

Chanda Mama Poem

“चंदा मामा”

नील गगन के चंदा मामा,
क्यों करते हो तुम हंगामा.

दूर हमेशा रहने वाले,
ऊँची पेंगे भरने वाले.

पास हमारे आ जाओ तुम,
हमसे आँख चुराओ न तुम.

रोज-रोज मैं तुम्हे बुलाता,
याद तेरी लेकर सो जाता.

बात हमारी कभी न मानी,
करते रहे अपनी मनमानी.

मानव तुम तक पहुँच गया है,
राज़ तुम्हारा समझ गया है.

खोज लिया है तुम पर पानी,
बतलाती है मेरी नानी.

मैं भी एक दिन आऊंगा,
तुमसे हाथ मिलाऊंगा.

Poem on Moon 2

चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।
चमचम चमचम वह तम हरते,
हरदम चलते ही रहते हैं।
कभी नहीं वह रुकते पलभर,
जब मिलते हैं हमसे हंसकर।
हंसो-हंसाओ सदा रहो खुश,
यह संदेश दिया करते हैं।
चंदा मामा नील गगन में,
जब देखो हंसते रहते हैं।

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