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ग्वालियर किल्ले का इतिहास और रोचक तथ्य | Gwalior fort information in Hindi

ग्वालियर किल्ले का इतिहास और रोचक तथ्य | Gwalior fort information in Hindi: आज हम बात करने जा रहे उस महान किले की जिसे राजा मान सिंह ने ग्वालियर मे बनवाया था और आज हम जानेंगे उसी से जुड़ा कुछ आइस इतिहास ओ शायद ही आप लोग जानेंगे। आप लोगो को बताएँगे किले की खासियत, उसकी सीमे, भारत चीन संबंध और भी बहोत कुछ।

ग्वालियर किले का इतिहास (Gwaliar Fort History)

ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश (Gwaliar Fort)

ग्वालियर का किला राणा मानसिंह तोमर (Rana Maan Singh Toma) ने मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बनवाया था। यह किला ऐतिहासिक स्मारकों में से एक है। इस किले के आकर्षण का केंद्र सास-बहू मंदिर और गुजारी महल (Gujari Mahal) है। इसमें मंदिर और म्यूज़ियम भी है। यह राजसी स्मारक भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है। ग्वालियर का क़िला ग्वालियर शहर का प्रमुखतम स्मारक है। यह किला गोपांचल (Goanchal Hill) नामक पर्वत पर स्थित है।

किले मे स्थित सुंदर कुंड (Sunder Kund in Fort)

किले के पहले राजा का नाम सूरज सेन (Suraj Sen) था, जिनके नाम का प्राचीन ‘सूरज कुण्ड’ (Suraj Kud) किले पर स्थित है। लाल बलुए पत्थर से बना यह किला शहर की हर दिशा से दिखाई देता है। एक ऊंचे पठार पर बने इस किले तक पहुंचने के लिये दो रास्ते हैं। एक ग्वालियर गेट कहलाता है एवं इस रास्ते सिर्फ पैदल चढा जा सकता है। गाडियां ऊरवाई गेट नामक रास्ते से चढ सकती हैं और यहां एक बेहद ऊंची चढाई वाली पतली सड़क से होकर जाना होता है।

इस सडक़ के आर्सपास की बडी-बडी चट्टानों पर जैन तीर्थकंरों की अतिविशाल मूर्तियां बेहद खूबसूरती से और बारीकी से गढी गई हैं। किले की तीन सौ पचास फीट उंचाई (350 feets Height) इस किले के अविजित होने की गवाह है। इस किले के भीतरी हिस्सों में मध्यकालीन (Mid-Age) स्थापत्य  के अद्भुत नमूने स्थित हैं।

पन्द्रहवीं शताब्दी (15th Century) में निर्मित गूजरी महल (Gujari Mahal) उनमें से एक है जो राजा मानसिंह (King Man singh)और गूजरी रानी मृगनयनी (Queen Mrignayani) के गहन प्रेम का प्रतीक है।

इस महल के बाहरी भाग को उसके मूल स्वरूप में राज्य के पुरातत्व विभाग ने सप्रयास सुरक्षित रखा है किन्तु आन्तरिक हिस्से को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया है जहां दुर्लभ प्राचीन मूर्तियां रखी गई हैं जो कार्बन डेटिंग के अनुसार प्रथम शती ईस्वी की हैं।

ये दुर्लभ मूर्तियां ग्वालियर के आसपास के इलाकों से प्राप्त हुई हैं। ग्वालियर के किले की योजना पिछले 1000 वर्षों से अधिक समय से यह किला ग्‍वालियर शहर में मौजूद है। भारत के सर्वाधिक दुर्भेद्य किलों में से एक यह विशालकाय किला कई हाथों से गुजरा।

इसे बलुआ पत्थर (Sand Rock) की पहाड़ी पर निर्मित किया गया है

और यह मैदानी क्षेत्र से 100 मीटर ऊंचाई पर है। किले की बाहरी दीवार लगभग 2 मील लंबी है और इसकी चौड़ाई 1 किलोमीटर से लेकर 200 मीटर तक है। किले की दीवारें एकदम खड़ी चढ़ाई वाली हैं। यह किला उथल-पुथल के युग में कई लडाइयों का गवाह रहा है साथ ही शांति के दौर में इसने अनेक उत्‍सव भी मनाए हैं। इसके शासकों में किले के साथ न्‍याय किया, जिसमें अनेक लोगों को बंदी बनाकर रखा।

किले में आयोजित किए जाने वाले आयोजन भव्‍य हुआ करते हैं किन्‍तु जौहरों की आवाज़ें कानों को चीर जाती है। किला और इसकी चाहरदीवारी का बहुत अच्छे तरीके से देखभाल किया जा रहा है. इसमें कई ऐतिहासिक स्मारक, बुद्ध और जैन मंदिर, महल (गुजारी महल, मानसिंह महल, जहांगीर महल, करण महल, शाहजहां महल) मौजूद हैं.

किला मुख्यतः दो भाग में बंटा है. मुख्य किला और महल (गुजारी महल और मान मंदिर महल). इन किलों का निर्माण राजा मान सिंह (King Man Singh) ने करवाया था. गुजारी महल का निर्माण उन्होंने अपनी प्रिय रानी मृगनयनी के लिए करवाया था.

किले मे रखीं दुर्लभ मूर्तियाँ 

अब गुजारी महल को पुरातात्विक संग्रहालय में तब्दील कर दिया गया है. इस संग्रहालय में दुर्लभ मूर्तियां रखी गई हैं जो पहली ईस्वी की हैं. ये मूर्तियां यहीं के आसपास के इलाकों से प्राप्त हुई हैं. इसके अलावा आप यहां तेली का मंदिर, 10वीं सदी में बना सहस्त्रबाहु मंदिर, भीम सिंह की छतरी और सिंधिया स्कूल देख सकते हैं. भारत का शानदार और भव्य स्मारक, ग्वालियर का किला ग्वालियर के केंद्र में स्थित है।

पहाडी की चोटी पर स्थित इस स्थान से घाटी और शहर का सुंदर दृश्य देखा जा सकता है। पहाड़ी की ओर जाने वाले वक्र रास्ते की चट्टानों पर जैन तीर्थंकरों की सुंदर नक्काशियां (Beautiful Scluptures) देखी जा सकती हैं। वर्तमान में स्थित ग्वालियर किले का निर्माण तोमर वंश के राजा मान सिंह तोमर ने करवाया था।

ग्वालियर किले की वास्तुकला अद्वितीय है जिस पर चीन की वास्तुकला का प्रभाव देखा जा सकता है। ग्वालियर किले के स्तंभों पर ड्रैगन की नक्काशियां हैं जो उस समय के भारत चीन संबंधों (India China Relations) का प्रमाण हैं। यह मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला के श्रेष्ठ उदाहरणों में से एक है।

ग्वालियर किले को “भारत का गिब्राल्टर” कहा जाता है। ग्वालियर किले पर कई राजवंशों ने अनेक वर्षों तक राज्य किया। ग्वालियर का किला ब्रिटिश शासन के विरुद्ध झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे द्वारा किये गए युद्ध की रणभूमि था।

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