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जज्बा: पैरालाइज्ड होने के बावजुद 7 साल से बिस्तर पर लेटकर चला रही हैं स्कूल!!

हम अक्सर जरा सी मुश्किलों से ही हिम्मत हार जाते हैं। मुश्किलों से लड़ने की बजाय ईश्वर को और अपने आप को कोसने लगते हैं। हम अक्सर ये वाक्य दोहराते हैं कि यदि मेरे साथ ऐसा नहीं होता तो मैं ज़रुर ऐसा करती/करता...। लेकिन दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनके शब्दकोश में ऐसे नकारात्मक शब्द हैं ही नहीं। 'आपकी सहेली' की हमेशा कोशिश रहती हैं कि ऐसे प्रेरणादायक लोगों से मैं आप सबको मिलवाऊं ताकि हम सब उनसे प्रेरणा ले सके। तो आइए, आज हम मिलेंगे ऐसी ही एक सुपर हीरोइन सहारनपुर के नैशनल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल उमा शर्मा (64) से।

पिछले 7 वर्षों से उमा के गले से लेकर निचला भाग पूरी तरह से पैरालाइज्ड हैं और वह बिस्तर पर लेटी ही रहती हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की पूरी तरह बिस्तर पर होने के बावज़ूद वे स्कूल चला रहीं हैं! उमा जी पर लगातार एक के बाद एक दुखों के पहाड़ टुट पड़े। 1991 में उनके पति का निधन हो गया। इसके बाद 2001 में उनके एकलौते बेटे राजीव (21) का निधन हो गया। इन दोनों हादसों से वे अपने आप को संभाल ही रही थी कि 2007 में वे आंशिक पैरालिसिस का शिकार हो गई। उनकी हालत लगातार ख़राब होती चली गई और 2010 में वे पूरी तरह पैरालाइज्ड हो गई। वह सिर्फ़ अपना सिर और हाथों को ही हिला सकती हैं! इतने सारे दु:ख कम ही थे जो 2010 में ही उनकी बेटी ऋचा की भी मौत हो गई!!

उनकी जगह कोई और होता तो पूरी तरह टूट चुका होता। लेकिन जिनके हौसले मजबूत होते हैं और जिनके इरादों में दम होता हैं वो कभी भी हार नहीं मानते! उमा जी ने 1992 में नैशनल पब्लिक स्कूल की स्थापना की थी। उनका सबसे पसंदीदा कार्य हैं इस स्कूल को संचालित करना। लेकिन समस्या यह थी कि बिस्तर पर लेटे-लेटे स्कूल को कैसे संचालित करे? उन्होंने खुद के घर पर डिश कनेक्शन लगवाया। स्कूल के हर क्लासरुम, स्टाफरुम और प्लेग्राउंड में सीसीटीवी कैमेरे लगवाए। वे अपने टेबलेट के जरिए स्कूल की हर गतिविधि को विडिओ द्वारा देख-सुन सकती हैं। उमा जी अक्सर शिक्षकों और बच्चों से टैबलेट के जरिए सीधे तौर पर बात करती हैं। कई बार स्कूल के बारे में बात करने के लिए शिक्षकों को घर पर बुला लेती हैं। स्कूल में कार्यरत सभी सदस्य अपनी प्रिंसिपल के प्रयासों की सराहना करते हैं। उमा जी से हमें यहीं प्रेरणा मिलती हैं कि,

''तीर को कमान पर पीछे खींचा जाता हैं, तभी तो वो आगे बढ़ पाता हैं...
बंदुक का ट्रिगर पीछे दबाया जाता हैं, तभी तो गोली आगे दौड़ पाती हैं...
ऐसे ही जब जीवन में मुश्किलें आती हैं, तभी तो इंसान आगे बढ़ पाता हैं…
इसलिए मुश्किलों से न घबराएं, मुश्किलें आपको आगे धकेलेंगी!!!''

इमेज: गूगल से साभार

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